मानसिकता की प्रकार

मानसिकता दो प्रकार की होती है|

                प्रथम निश्चित मानसिकता [Fixed Mindset ], और द्वितीय विकास की मानसिकता  [Growth Mindset ]..

           उक्त दोनों मानसिकतायें किसी भी ब्यक्ति के अन्दर इस दुनियां में जन्म लेने के बाद   बचपन   से जवानी  तक उसके चारों तरफ के माहौल और संगत से ही निर्धारित होता है|

                               निश्चित मानसिकता को सीमित मानसिकता भी कहा जाता है, जिसमें प्रत्येक ब्यक्ति नकारात्मक दृष्टिकोण से पारम्परिक सोच के आधार पर समाज में अधिकतर लोगों द्वारा किये जा रहे कार्यों की नक़ल कर अपने जीवन में बेहतर परिणाम प्राप्त करने की उम्मीद करता है, तथा मनचाहे परिणाम प्राप्त न होने पर कभी भाग्य को दोष देता है, तो कभी परिस्थितियों को दोष देता है और कभी भगवान को दोष देता है| ये लोग परिणाम तो नये चाहते है, परन्तु किसी भी नए कार्य को करने के लिए तैयार नहीं रहते है| इनके पास सदा कुछ न कुछ नकारात्मक शब्द, जैसे- मैं नहीं कर सकता हूँ, ये मेरे लिए नहीं है, ये हो ही नहीं सकता, जब करना ही नहीं है,तो फिर देखना ही क्यों है, ये मेरे बस की बात नहीं है, आदि इनकी शब्दावली में भरे रहते है| इसके साथ ही ये अपने अन्दर और आस-पास के माहौल में किसी भी प्रकार के परिवर्तन को स्वीकार नहीं करते हैं, तथा ये लोग मानते हैं, कि पूर्वजों की मानसिकता आनुवंशिकता के द्वारा पीढ़ी दर पीढ़ी स्वतः स्थानांतरित होती है, इसलिए ये लोग  मानसिकता में बदलाव  असंभव मानते है|

                                 विकास की मानसिकता को असीमित सोच की मानसिकता भी कहा जाता है| जहाँ पर प्रत्येक ब्यक्ति सकारात्मक दृष्टिकोण से साथ पारम्पिक मानसिकता से हटकर अपने जीवन के मनचाहे कार्यक्षेत्र में किसी भी परिस्थिति में बेहतर प्राप्त करने के लिए सदा आगे बढ़ता रहता है| चाहे इन्हें बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए कुछ भी करना पड़ जाये| ये हमेशा खुद से कहते है, कि मैं कर सकता हूँ| इनका मानना होता है, बदलाव जीवन की एक प्रक्रिया है, और यह हमेशा बेहतर भविष्य के लिए होता है| ये आसानी से अपने अन्दर बदलाव को स्वीकार कर लेते है, तथा हमेशा चुनौतियों, बाधाओं और असफलता को स्वीकार कर, उन पर ध्यान न देकर हमेशा समाधान के लिए प्रयासरत रहते है, और सतत अभ्यास कर समाधान ढूंढ लेते है|       

Ø  मानसिकता का निर्धारण..

मानसिकता के निर्धारण के कई कारण होते हैंजिनमें प्रमुखतया  घर पर माताजी-पिताजी का पालन पोषण, मोहल्ले और समाज का माहौल, दोस्त, मित्र, रिश्तेदारों और समाज के लोगों की संगत, कार्यस्थल के सहकर्मियों की संगत, सोशल मीडिया से प्रदत्त सूचनाएं, विभिन्न प्रकार का साहित्य, अखबार, मैगजींस और हमारी शिक्षा प्रणाली आदि  द्वारा ही हमारी मानसिकता निर्धारित होती है।

             याद रखें, कि मानसिकता निर्धारण के कुछ बाहरी कारण भी होते है, जैसे-आपके समाज मैं बात करने के तरीके, आपके अंदर की प्रेरणाहीनता, आपकी मान्यताएं, आपकी विचारधारा, उदासीनता, ईर्ष्या, द्वेष भावनाएंजीवन मैं उद्देश्यहीन कार्यशैली तथा प्रतिदिन की दिनचर्या आदि का भी बहूत महत्वपूर्ण रोल होता है।

                                परंतु सबसे बड़ी खुशी की बात है, कि मानसिकता बदली जा सकती है। बस साधारण सा सूत्र है, कि आप बदलने का निर्णय लै और आपको पता होना चाहिए कि आप बदलना क्यों चाहते है। उसके बाद अपना माहौल, संगत, दोस्त, मित्र , और समाज के सलाहकार बदल दो, और अपने  व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन के मनचाहे कार्यक्षेत्र का चयन कर सफल लोगों के द्वारा बताए गए साहित्य, सफल लोगों की कहानियां पढ़ना, सफल लोगों के सेमिनार्स मैं भाग लेना और सफलता के नियम, सिद्धांत की ऑडियो और वीडियो सुनना और पढ़ना तथा सफल मेंटर का चयन कर उनकी निरंतर सलाह और मार्गदर्शन मैं काम करना शुरू कर अपनी मानसिकता को बदलकर अपने जीवन के परिणाम बदल सकते है ।

           एक बात ध्यान दें , कि यदि आप अपना जीवन बदलना चाहते है तो बिना मनिसकता बदले और विकास की मानसिकता को अपनाकर उसे विकसित किये बगैर कभी भी अपना जीवन बदल नहीं सकते है।

             इसप्रकार जीवन में अभूतपूर्व सर्वश्रेष्ट परिणाम चाहने के लिए सर्वप्रथम खुद की मानसिकता को बदलकर, और विकास की मानसिकता को अपनाकर तथा विकसित करके ही आप अपना जीवन के मनचाहे कार्यक्षेत्र प्रगति कर सकते है।

Ø  निश्चित बनाम विकास की मानसिकता .....

 निश्चित मानसिकता का मतलब सीमित सोच का दायरा, जहां पर  व्यक्ति अपनी  मानसिक अवधारणा के आधार पर स्वयं के लिए एक लक्ष्मण रेखा खींच कर दोस्त, मित्र और समाज की मान्यताओं के आधार पर अपने जीवन के समझौतावादी निर्णयों को जीवन का उद्देश्य मानती है और उसी के अंदर अपने को सीमित रखते हैं। परंतु विकास की मानसिकता का मतलब असीमित सोच का दायरा, जहां पर व्यक्ति अपनी मानसिक अवधारणा को स्वयं के लिए महत्वाकांक्षी नवाचार के निर्णयों को अपने जीवन का उद्देश्य मानती है, तथा जीवन में प्रगति के लिए किसी भी हद तक जाकर अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए काम करते है|

                    निश्चित मानसिकता वाले व्यक्ति की एक और मानसिक अवधारणा होती है, कि वह स्वयं को बदलने को तैयार नही रहता है, और वह कहता है, कि यह मेरे बस मैं नहीं है| ये लोग मानते है, कि व्यक्ति के अंदर जो भी गुण और आदतें हैं, वह आनुवंशिक होती है, तथा ये गुण और आदतें पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित होते जाते है। परंतु विकास की मानसिकता वाले लोग कहते हैं, कि बदलाव तो प्रकृति का नियम है, और जीवन मैं उद्देश्य के अनुरूप स्वयं को बदल कर ही जीवन को खुशहाल, प्रसन्नचित्त, स्वस्थ्य और आनंदित बनाया जा सकता है ।

        इसीप्रकार निश्चित मानसिकता के लोग मानते है, कि जीवन मैं पृष्ठि भूमि, परिस्थितियां, बुद्धिमत्ता, दृष्टिकोण और प्रतिभा को बदलना असंभव है, क्योंकि ये सब आनुवांशिकता मैं पूर्वजौ से मातापिता के द्वारा बच्चों को मिलती है। परंतु विकास की मानसिकता वाले लोग कहते है, कि पृष्ठिभूमि, परिस्थितियां, बुद्धिमत्ता, और प्रतिभा तो शुरुआती विंदु है। इनमें 100% सुधार किया जा सकता है। यहां तक कि मनुष्य के कुछ गुण और आदतें को छोड़कर बाकी  जीवन में प्रगति के लिए सभी गुण और आदतें अस्थाई होती है,  ये सब गुण और आदतें सही अभ्यास, समर्पण और समय के साथ ये बदली जा सकती है।

                             निश्चित मानसिकता वाले लोग चुनौतियों, बाधाओं और असफलताओं से डरते और बचते है, तथा प्रयास को निरर्थक मानते है, और सदा आलोचनाओं और बहानेबाजी मैं घिरे रहते है। परंतु विकास की मानसिकता वाले लोग चुनौतियों, बाधाओं का सामना कर उसका समाधान करते है और असफलताओं को स्वीकार कर उनसे सीख लेकर तथा चुनौतियों,बाधाओं और असफलताओं को अपने जीवन का एक भाग मानते हुए जीवन में प्रगति के मार्ग में आगे बढ़ते रहते है।

                            इसलिए  निश्चित मानसिकता वाले लोग एक परजीवी,  क्षुब्ध,  समझौतावादी, उद्देश्यहीन और बिना किसी पूर्व निर्धारित दिनचर्या की जीवन शैली को जीने के लिए मजबूर होते है और इन्हें इच्छाधारी भी कहा जाता है,क्योंकि ये चाहते तो सब है, परंतु खुद की मानसिकता को बदलकर काम नहीं करना चाहते है। इन्हें भाग्यवादी भी कहा जाता है, क्योंकि ये लोग मानते हैं, कि यदि किस्मत मैं लिखा होगा तो प्राप्त होके रहेगा और कोई इसे छीन भी नही सकता है। देने वाला तो ऊपरवाला है।फिर मेहनत करने की जरूरत ही क्या है। ये कर्म न करने और अपनी असफलता को छुपाने के लिए कई तरह के बहाने तथा दोष परिस्थितियों, किस्मत और भगवान को भी देते रहते है|

                           परंतु विकास की मानसिकता वाले व्यक्ति आत्म विश्वासी, आत्मनिर्भर, स्वयं पर भरोसा करनेवाले, तथा उद्देश्यों के साथ प्रतिदिन की निर्धारित दिनचर्या के साथ लगातार कर्म कर  महत्वाकांक्षी जीवन जीने पर विश्वास करते है। ये अपने जीवन के निर्णय खुद लेकर और मनचाहे जीवन और कार्यक्षेत्र को चयन कर लक्ष्य निर्धारित कर उसकी पूर्ण जिम्मेदारी लेकर अंत तक कार्य को पूर्ण कर ही दम लेते है। ये सदा अनुशासित, सीखने के लिए तैयार, प्रेरित, साहसी, धैर्य, लगनशील और नवाचार के विचारों को अभ्यास करने को तैयार रहते है| ये लोग जानते है, कि भाग्य तो भगवान ने बनाया है, परंतु हम स्वयं अपना भाग्य लिखते है।इसलिए भाग्य बनाने के लिए सफल लोगों की संगत और मार्गदर्शन में स्वयं सही तरीके से प्रतिदिन दैनिक अभ्यास करना अनिवार्य है और जब स्वयं पर पूर्ण आत्मविश्वास होता है, तो फिर किसी भी चीज के निर्माण मैं समय तो पूरा लगता है, और यदि कोई ब्यक्ति अपने मनचाहे कार्यक्षेत्र में सफल हो सकता है, तो मैं भी सफल हो सकता हूँ| 

Ø  विकास की मानसिकता क्यों जरूरी है-

विकास की मानसिकता ही आपके जीवन की संपन्नता की कुंजी है। क्योंकि आप इस पृथ्वी पर सिर्फ एक ही सर्वश्रेष्ठ प्राणी है, जिसे भगवान ने सोच और समझ कर पृथ्वी की सर्वश्रेष्ठ वस्तुओं का आनंद लेने के लिए सर्वश्रेष्ठ जीवन जीने का चयन करने का अधिकार दिया है। मानव जीवन एक ही बार मिलता है, और प्रत्येक व्यक्ति को इस पृथ्वी पर सर्वश्रेष्ठ जीवन जीने का अधिकार है। बस इस सर्वश्रेष्ठ जीवन जीने का मार्ग विकास की मानसिकता को अपनाकर ही प्राप्त किया जा सकता है, क्योंकि ब्यक्ति को सर्वप्रथम अपने मस्तिष्क, शरीर और आत्मा को अन्दर से पूर्णतया विकसित कर एकमुश्त अपने अन्दर के आचार, व्यवहार और विचारों को सकारात्मक दृष्टिकोण के आधार मनसा, वाचा और कर्मणा का मतलब जो सोचें, वही बोलें और वही कार्य करैं मैं पूर्ण तारतम्य बिठाकर ही अपने जीवन के मनचाहे कार्यक्षेत्र में तय समय में सफलता प्राप्त की जा सकती है|

                               इसलिए इस दुनिया मैं चंद लोगों को ही यह सब मिलता है, क्योंकि वो इस राज को समझ कर जीवन मैं अपनी मानसिकता को बदलने का निर्णय लेकर विकास की मानसिकता को विकसित कर तदनुसार अपने मनचाहे कार्यक्षेत्र का चयन कर सफलता के मार्ग के नियमों और सिद्धान्तों का अनुसरण कर आगे बढकर उन सब वस्तुओं को जिन्हें वे अपने सपनौं और कल्पनाओं मैं चाहते हैं, को प्राप्त करने के लिए पूर्ण आत्मविश्वास के साथ लक्ष्य निर्धारित कर सफल ब्यक्ति के मार्गदर्शन में तय समय में प्रतिदिन लगातार कार्य कर तय समय में प्राप्त कर लेते है|

                                      आज के इस विचार क्रांति युग मैं इंटरनेट के द्वारा सोशल मीडिया तथा सफल लोगों की संगत और मार्गदर्शन से प्रत्येक व्यक्ति, चाहे वह किसी भी पृष्ठिभूमि ,जाति, लिंग, धर्म, अमीर, गरीब, कम पढा लिखा या बुद्धिमान हो, इसे प्राप्त कर सकता है, क्योंकि सीखने की आदत से विकास की मानसिकता को अपने अन्दर के सफलता के गुणों और आदतों को लगातार प्रतिदिन सही अभ्यास कर विकसित कर जीवन के मनचाहे कार्यक्षेत्र- पढ़ाई-लिखाई, डाक्टर, वैज्ञानिक,  नौकरी, व्यवसाय, उद्दयम, नए-स्टार्टअप, नेटवर्क-व्यवसाय, खेल, संगीत, फिल्म, राजनेता में सफलता प्राप्त कर सकता है।

                      इसलिए विकास की मानसिकता ही किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन मैं सर्वश्रेष्ठ जीवन जीने की कल्पना को साकार कर सकता है। 

Ø जीवन मैं विकास की मानसिकता का महत्व......

 * विकास की मानसिकता अपनाये और विकसित किये बगैर आप जीवन में कोई भी परिवर्तन नहीं कर सकते, और जीवन में बिना परिवर्तन के आम औसत जीवन से अधिक कुछ भी नहीं प्राप्त किया जा सकता है|

*विकास की मानसिकता से प्रत्येक ब्यक्ति को खुलकर श्रेष्ट जीवन के लिए नकारात्मक और सकारात्मक पहलुऔं पर विचार-विमर्श कर फायदे के परिणामों के आधार पर निर्णय लेने मैं मदद मिलती है|

*विकास की मानसिकता सदा जीवन में सीखने की आदत बनाकर ब्याक्तिगत तथा व्यवसायिक क्षेत्र में नवाचार को अपनाने में मदद कराती है|

*विकास की मानसिकता आपके अन्दर की नए-नए मनचाहे संभावनाओं को खोजने में मदद करती है|

*विकास की मानसिकता आपके जीवन में आपकी दिशा और दशा बदलने में मदद करती है, जिससे आपके जीवन के परिणाम बदल जाते है|

*विकास की मानसिकता आपके जीवन में भटकाव,निराशा और बहानेबाजी से छुटकारा दिलाकर, रचनात्मक मानसिकता को बनाने में मदद करती है|

*विकास की मानसिकता आपके अन्दर सकारात्मक दृष्टिकोण, अनुशासन, आत्मविश्वास, धैर्य, साहस, कर्मठता, व्यवहार-कुशलता, निररंतरता तथा दूरदृष्टि को विकसित करने में मदद करती है|

*विकास की मानसिकता आपके अन्दर जीवन के मनचाहे कार्यक्षेत्र का चयन करना,   सफल लोगों की मार्गदर्शन में लक्ष्य निर्धारित करना और निरंतर कार्य कर अनुभव प्राप्त करने में मदद करता है|

*विकास की मानसिकता चुनौतियों, बाधाओं का समाधान और असफलताओं को स्वीकार कर सीख लेकर आगे बढ़ने को हुनर देता है|

*विकास की मानसिकता आपको विपरीत परिस्थितियों में भी खड़े रहकर, कर्म करते हुए   अनुकूल परिस्थितियों तक संघर्ष कर अंत तक टिके रहने की आदत बनाने मैं मदद करता है|

* यह कभी भी मनचाहे कार्यक्षेत्र के चयन के बाद कभी न छोड़कर, डठे रहकर अंतिम परिणाम तक कार्य करने की मानसिकता बनाने में मदद करता है|           

                        इसप्रकार यदि आप एस पृथ्वी पर श्रेष्ट प्राणी है, और आपके पास एक मस्तिष्क रुपी शक्तिशाली अंग है, और आप इसका सर्वश्रेष्ट उपयोग कर श्रेष्ट जीवन शैली प्राप्त करना चाहते है, तो आपको सर्वप्रथम विकास की मानसिकता को अपनाकर अपने व्यक्तिगत जीवन में अंदर से मानसिकता मैं बदलाव कर सदा सकारात्मक दृष्टिकोण से अपने जीवन के सपनो को पहचान कर उसे प्राप्त करने के लिए उस कार्यक्षेत्र के सफल लोगों की संगत और मार्गदर्शन में जीवन में सदा सीखने की आदत बनाकर अपने अन्दर आत्मविश्वास मैं कर सकता हूं।” पैदा करके साहस, धैर्य, संघर्ष करने की क्षमता, दूरदृष्टि, दृढ़ इच्छाशक्ति, व्यवहार-कुशलता, और निरंतर, लगातार जीवन मैं चुनौतियों, बाधाओं से लड़कर उनका समाधान कर, मार्ग मैं आनेवाली असफलताओं को स्वीकार कर सीख लेकर आगे बढ़ते रहने का हुनर सीखकर ब्यक्तिगत जीवन के विभिन्न आयामौ- शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, आध्यात्मिक स्वास्थ्य, और पारिवारिक और सामाजिक संबंध और सम्मान के बीच संतुलन कायम करने के बाद ही आप अपने व्यवसायिक जीवन  मनचाहे कार्यक्षेत्रों लक्ष्यों का निर्धारण कर और इनकी प्राप्ति के लिए निरंतर, लगातार संघर्ष कर कार्य कर तय समय में प्राप्त कर सर्वश्रेष्ठ जीवन शैली, जिसमें खुशहाल, स्वस्थ्य, सुखी, आत्मनिर्भर स्वंत्रत, समृद्धशाली और आनंदमय जीवन प्राप्त कर सकते है|

यही विकास की मानसिकता का मूल उद्देश्य है|

PERSONALITY DEVELOPMENT [ ब्यक्तित्व विकास ]

ब्यक्तित्व विकास का अर्थ है………………..

स्वयं के अन्दर अपनी स्वयं के ज्ञान के स्तर को बढ़ाना, दृष्टिकोण परिवर्तन, व्यवहार कुशलता, कौशल व क्षमता वृद्धि, और गुणों तथा आदतों मैं परिवर्तन कर, इनके माध्यम से अपने अन्दर की मानसिकता का विकास कर स्वयं के लिए जागरूकता, आत्मविश्वास, अभिब्यक्ति की क्षमता, सुनने की कला, सीखने की आदत, सकारात्मक आदतें, माहौल और संगत में सुधार, नवाचार की जागरूकता, कार्य में निरंतरता तथा प्रतिभा के स्तर आदि को पूर्ण उत्पादकता के स्तर तक ले जाकर ब्यक्तिगत और व्यवसायिक जीवन के मानकों को स्वयं तय कर अपने जीवन के मनचाहे कार्यक्षेत्रों का स्वयं चयन कर लक्ष्यों को निर्धारित करना और उन्हे तय समय में हासिल करने की नयी उत्पादक गुणों और आदतों को अपने अन्दर विकसित कर सकता है| यह सब आपको विकास की मानसिकता के साथ सफल लोगों की संगत और माहौल अपनाकर अपने दैनिक जीवन में सीखने की आदत को रोजाना अमल में लाकर ही संभव बनाया जा सकता है|

क्यों जरुरी है ब्यक्तित्व विकास……

   इस दुनिया में मनुष्य एक सर्वश्रेष्ट प्राणी है, और उसी के पास एक असीमित शक्तिशाली क्षमता वाला मस्तिष्क हैं| इस दुनिया में कोई भी ब्यक्ति अपने अन्दर की मानसिकता को विकसित और सर्वश्रेष्ठ गुणों को अपनाकर एक आदर्श और श्रेष्ठ ब्यक्तित्व का निर्माण कर अपने जीवन के किसी भी मनचाहे कार्यक्षेत्र में सफलता के शिखर पर पहुंचकर एक श्रेष्ठ जीवनशैली का आंनंद ले सकता है| इसलिए कोई भी ब्यक्ति सर्वप्रथम स्वयं के अन्दर की मानसिकता को पूर्ण विकसित करने के बाद ही अपने जीवन में मनचाही सफलता प्राप्त कर सकता है| यही एक मात्र तरीका है, और इसे याद रखें, जीवन में किसी भी क्षेत्र में “ पहले सोच बदलो, फिर जीवन बदलो”|   

ब्यक्तित्व निर्माण की प्रक्रिया………

       ब्यक्तित्व निर्माण किसी भी ब्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है| परन्तु जब तक किसी भी ब्यक्ति को इस बात का ज्ञान नहीं होता है,कि मैं कौन हूँ, और मेरा व्यवहार वैसा ही क्यों होता है, जैसा मैं हर वक्त करता हूँ| मैं क्या अपने व्यवहार को बदलकर एक आदर्श और उत्पादक बना सकता हूँ| तभी मैं अपनी आंतरिक प्रवृतियों को को समझ पाता हूँ, तभी आप यह भी जान पाएंगे, कि आपके अन्दर मानसिकता के सम्बन्धों में सामंजस्य स्थापित करने के लिए ईश्वर प्रदत्त बेजोड़ विशेषताओं का किस प्रकार सर्वोत्तम तरीके से उपयोग कर सकते सकते हैं| यदि एकबार आपने यह जान लिया, कि अपने अन्दर के सर्वोत्तम गुणों को पहचानकर और उन्हें अपनाकर कैसे बाहर प्रकट किया जा सकता है, तभी आप अपने आदर्श और श्रेष्ट ब्यक्तित्व का निर्माण कर पाएंगे|

ब्यक्तित्व के प्रकार……..

    ब्यक्तित्व के बारे में लेखिका फ्लोरेंस लिटौर द्वारा एक किताब लिखी गई है| जिसमें उन्होने किसी भी ब्यक्ति के अन्दर चार प्रकार के ब्यक्तित्वों के होने की बात लिखी है| परन्तु कोई भी ब्यक्ति जिस तरह के माहौल और संगत में अधिकतर रहता है, उसी के अनुरूप अधिकतर किये जाने वाले व्यवहार के आधार पर चारों प्रकार के ब्यक्तित्वों में से दो ब्यक्तित्वों का विकास अधिकतम होता है, और उस ब्यक्ति के दैनिक व्यवहार में अधिकतर दिखाई देते हैं तथा दो प्रकार के ब्यक्तित्वों का विकास बहुत कम होता है| इसलिए ये कभी कभार ही व्यवहार में दिखाई देते है|

             प्रत्येक  ब्यक्तित्व की के गुणों की अपनी-अपनी मजबूतियाँ और कमजोरियां होती हैं| इसीलिए कोई भी ब्यक्ति तब तक आदर्श और श्रेष्ठ ब्यक्तित्व विकसित नहीं कर सकता जब तक कि वो अपने अन्दर के चारों ब्यक्तित्वों के मजबूतियों को पहचानकर अपनाकर तथा अपनी कमजोरियों को छोड़ दे| तभी एक आदर्श और श्रेष्ठ ब्यक्तित्व का विकास किया जा सकता है, और ये सब सफल लोगों की संगत और माहौल में रहकर उनके मार्गदर्शन में सीखकर ही संभव हो सकता है|

         ये हैं……..

१ –  तेजस्वी लोकप्रिय ब्यक्तित्व वाला ब्यक्ति –

      मजबूत गुण- सामाजिक, स्फूर्तिपूर्ण, उत्साही, आशावादी, प्रेरक, मिलनसार, मनमोहक, दिलेर ब्यक्ति|

         कमजोरियां- बहानेबाज, भुलक्कड़, अस्त-ब्यस्त, बातूनी, अव्यवस्थित, जल्दी क्रोधित होने वाला, असंगत, बेपरवाह, अशांत, प्रदर्शन प्रिय, परिवर्तित होने वाला ब्यक्ति|

२ –  प्रभावशाली तेजमिजाज ब्यक्तित्ववाला ब्यक्ति –

         मजबूत गुण- साहसी, प्रेरक, दृढ इच्छाशक्ति, आत्मविश्वासी, विश्वसनीय, प्रभावशाली, निर्णायक, मुखिया, और उत्पादनकारी ब्यक्ति|

         कमजोरियां- प्रतिरोधी, स्पष्टवादी, उतावला, उग्र स्वभाववाला, घमंडी, तर्क करनेवाला, कर्मठ, अकुशल, स्वार्थ साधक, संयमहीन, सहनुभूतिरहित, उद्दंड, मक्कार ब्यक्ति|

३ –  उत्तम गंभीर ब्यक्तित्ववाला ब्यक्ति –

         मजबूत गुण- कर्मठ, संवेदनशील, सुनियोजित, सुब्याव्स्थित, योजनाकार, निष्ठावान, स्पष्ट, आदर्शवादी, वफादार, पूर्णतावादी, और व्यवहार कुशल ब्यक्ति|

         कमजोरियां- झेंपू, आक्रोशी, अप्रिय, निराशावादी, लक्ष्यहीन, अंतर्मुखी, मनमौजी, शंकालु, बदला लेने की भावनावाला, आलोचना करनेवाला, अत्यंत संवेदनशील ब्यक्ति|

४ –  शांत मंथर ब्यक्तित्व वाला ब्यक्ति –

          मजबूत गुण- शांत, विनीत, संयमी, सहनशील, मैत्रीपूर्ण, संतुलित, परिस्थितिअनुरूप ढलनेवाला, सुननेवाला, और खुशनुमा ब्यक्ति|

           कमजोरियां- मितभाषी, निरुत्साहित, कायर, आलसी, अनिच्छुक, अविचलित, स्पष्ट, लक्ष्यहीन, शंकापूर्ण, संकोची, भयपूर्ण, काहिल, समझौतापरस्त ब्यक्ति|

ब्यक्तित्व विकास के लाभ ……….

       आदर्श ब्यक्तित्व विकास ही मानव जीवन का प्रथम लक्ष्य होगा, तभी कोई भी ब्यक्ति मानव जीवन में एक सर्वश्रेष्ठ प्राणी बन पायेगा, अन्यथा मानव और अन्य प्राणियों के जीवन में कोई अंतर नहीं है| आज का विकसित मानव इन्ही सब का परिणाम है| इसलिए ब्यक्तित्त्व विकास के फायदों को जानना अति आवश्यक है|

१ .. आज आप जैसे भी है, जिस तरीके का जीवन जी रहे हैं, जिन लोगों के साथ आप रहते हैं, जो सोच आपकी है, वह सब आपकी आज के मानसिकता के कारण है| यदि आप संतुष्ट नहीं हैं, तो उक्त समस्त चीजों में बदलावकर अपने सम्पूर्ण ब्यक्तित्व का विकास कर मानसिकता को विकसित कर ही परिणाम बदल सकते हैं|

२.. आप समझ गए हैं , कि आपके ब्यक्तित्व की मजबूती क्या है, और कमजोरियां क्या हैं, और यदि आप उक्त चारों ब्यक्तित्व की मजबूतियों को समझकर उनके अनुरूप अपने आप में बदलाव लाकर ही अपनी विकास की मानसिकता को विकसित कर सकते है| यह प्रत्येक ब्यक्ति कर सकता है, जब उसे उक्तानुसार चारों व्यक्तित्व की समझ मिल जाती है| बदलाव एक प्रक्रिया है, आपको  निर्णय लेना है| बस शर्त एक ही है, कि सामान मानसिकता वाले ब्यक्तियों की संगत और माहौल को अपनाते हुए उनके साथ ये बदलाव लाने है, जिससे यह कार्य बहुत ही आसान हो जाता है| याद रखें- अच्छा ब्यक्ति या बुरा ब्यक्ति सिर्फ और सिर्फ संगत और माहौल से ही बनते है|

३..  आदर्श व्यक्तित्व निर्माण से आप अपने जीवन में ब्यक्तिगत, पारिवारिक, आध्यात्मिक, शारीरिक, मानसिक, व्यवसायिक, और सामाजिक जीवन मैं सर्वश्रेष्ट संतुलन बनाकर जीवन में आगे बढ़ते रहते है तथा आप अपने जीवन के सभी क्षेत्रों में चहुमुंखी विकास कर सकते है| यही आपको एक स्वस्थ्य, सुखी, खुशनुमा, समृद्धिशाली, और आनंदित जीवन जीने का मौका देता है|

४.. आदर्श व्यक्तित्व निर्माण प्रत्येक ब्यक्ति का सपना होता है, इसे प्रत्येक ब्यक्ति  विकसित कर सकता हैं, क्योंकि  आदर्श व्यक्तित्व निर्माण शुरू में प्रत्येक ब्यक्ति को कठिन लगता है, परन्तु एक-एक कर ही आप क्रम से कमजोर आदतों को छोड़कर और मजबूत आदतों को रोज-रोज के अभ्यास से अपनाकर एक साल मैं पूर्णतया स्वयं में परिवर्तन कर आसानी से  बना सकते है| याद रखी, कि आदर्श व्यक्तित्व के साथ जीवन जीना बहुत ही श्रेष्ठ और मजेदार  होता है|

५..  आदर्श ब्यक्तित्व निर्माण से आप एक समझदार बुद्धिमान ब्यक्ति बन जाते हैं, और जीवन के समस्त क्षेत्रों के साथ-साथ दुनिया को भी बहुत कुछ दे सकत्ते हैं|

६..  आदर्श व्यक्तित्व निर्माण से आपका आत्मसम्मान, आत्मविश्वास, सकारात्मक दृष्टिकोण,  धैर्य, दूरदृष्टि, साहस, ध्यान केन्द्रित, लक्ष्य निर्धारण और विषम परिस्थितियों में आगे बढ़ते रहना आदि सभी आदतों का विकास आपके अन्दर आ जाता है|

७.. आदर्श व्यक्तित्व निर्माण से आपके  जीवन में लक्ष्य बनाकर आगे बढ़ना और उनको प्राप्त करने की आदत विकसित हो जाती है|

८.. आदर्श व्यक्तित्व निर्माण से आपके अन्दर अनंत संभावनाओं की उत्पति की मानसिकता पैदा हो जाती है, और आपके अन्दर नवाचार का अपने जीवन और कार्यक्षेत्र में प्रयोग करने की क्षमता पैदा हो जाती है|

९.. आदर्श व्यक्तित्व निर्माण के द्वारा जब आप अपने अन्दर सर्वोत्तम गुणों/ आदतों को प्रकट  करना आ जाता है, तब आपको सम्पूर्ण दुनिया और दूसरे लोग भी पसंद आने लगते हैं| तब यही लोग आपके जीवन में आपके लिए ताकत बनकर आपकी सोच को आगे बढ़ने में मदद करते हैं|

१०.. आदर्श व्यक्तित्व निर्माण से आप अपनी आतंरिक प्रवृतियों को बदलकर ही दुसरे लोंगों का सहयोग करना, उनसे नजदीकियां बढ़ाना, उनको समझाना और उनके व्यक्तित्व निर्माण मैं साथ निभाना सीख जाते हैं|

    

विकास की मानसिकताके आयामों का अर्थ

विकास की मानसिकता की पहचानकर तथा इसका अपने जीवन में महत्व को समझकर इसे विकसित करने के लिए अपने अन्दर एक आदर्श ब्यक्तित्व को विकसित करने के लिए तथा अपने ब्यक्तित्व में समस्त उत्पादक गुणों को विकसित करने के लिए विकास की मानसिकता के विभिन्न आयामों को विकसित करना जरूरी है| तभी आप अपने जीवन के मनचाहे कार्यक्षेत्र में मनचाही सफलता तय समय में प्राप्त कर सकते हैं| इसीलिए इस क्रम मैं विकास की मानसिकता के आयामों को समझकर, सीखकर दैनिक जीवन में अमल में लायें|

                                                                                                        प्रथम – आयाम

                                                                              ब्यक्तिगत विकास (PERSONAL-DEVELOPMENT )

अपने ब्यक्तिगत जीवन में अपने अन्दर के ब्यक्तिगत मानसिकता में बदलाव करने के उपरांत बाहरी क्रियाओं में सुधारकर विकास की मानसिकता को अपनाकर अपने ज्ञान और कौशल को लगातार बढ़ाते हुए अपने अन्दर स्व-जागरूकता, सकारत्मक सोच, आत्मविश्वास, साहस, धैर्य, रचनात्मकता, उत्पादकता, दृढनिश्चय, आत्मनिर्भरता, आदि तथा बाहरी योग्यताओं में सुधारकर जैसे- परिश्रमी,अनुशासित, लक्ष्य पहचान व निर्धारण, लचीलापन, संचार कौशल, नेतृत्व क्षमता, समस्या समाधान, लगातार सीखने रहना, व्यवस्थित रहना, दिनचर्या का अनुसरण करना, तथा स्व-मूल्यांकन करना आदि प्रक्रिया में विशेषज्ञता हासिल कर ब्यक्त करना ही किसी ब्यक्ति का ब्यक्तिगत विकास कहलाता है|

        यह सब स्व-प्रतिबिम्ब, आत्मसुधार, और आत्मसाक्षात्कार के माध्यम से होता है| इसके माध्यम से आप अपने ब्यक्तिगत ज्ञान के स्तर, भावनात्मक बुद्धिमत्ता, पेशेवर कौशल, सामाजिक संपर्क, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को हमेशा बनाये रखना, तथा ब्यक्तिगत आदतों और गुणों को प्रमुखतया सुधारने का प्रयास में शामिल रहते है|  

        ब्यक्तिगत विकास की आवश्यकता क्यों ?

      किसी भी ब्यक्ति को अपने पेशेवर जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए पारिवारिक जीवन, ब्यक्तिगत जीवन और पेशेवर जीवन में सामंजस्य बिठाकर अपने दैनिक जीवन में एक दीर्घकालीन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक दिन की पारिवारिक और ब्यक्तिगत जीवन की दिनचर्या के साथ- साथ पेशेवर जीवन के  दैनिक लक्ष्य की दिनचर्या को बनाकर रोजाना उसका अनुसरण करते हुए उनको प्राप्त करना तथा रोजाना उनका मूल्यांकन कर अपने कौशल और कार्य क्षमता में सुधार करते हुए मनचाही सफ़लता प्राप्त करने के लिए प्रशिक्षित होने तथा अनुभव प्राप्त करना जरूरी है| इससे पूर्व इसके लिए विकास की मानसिकता को अपनाकर ब्यक्तिगत विकास के विभिन्न चरणों या नियमों को सीखना और भी महत्वपूर्ण है| तभी आप अपने पारिवारिक जीवन, ब्यक्तिगत जीवन और पेशेवर जीवन में एक समग्र सफल ब्यक्ति के रूप में खुशहाल, सुखमय, स्वस्थ्य, समृद्धिशाली और आनंददायक जीवन जीने का अवसर प्राप्त कर पाएंगे|    

ब्यक्तिगत विकास के विभिन्न चरण

 ब्यक्तिगत विकास के लिए अपने ब्यक्तिगत जीवन के निम्नलिखित पहलूऔं पर ध्यान दिया जाना जरुरी है | 

  • स्व-जागरूकता …. अपने जीवन की विचारों, भावनाओं, आदतों, और व्यवहारों को पहचानना और समझना|
  • सकारात्मक सोच …. विचारों, भावनाओं, घटनाओं, और शब्दों पर सोचसमझकर क्षणिक विश्लेषण कर क्रिया और प्रतिक्रिया देना|
  • आत्मविश्वास …. अपने जीवन में अपनी क्षमताओं पर पूर्ण विश्वास और आत्म सम्मान का विकास करना|
  • साहस …. अपने जीवन में अपने अन्दर किसी भी कार्य को विषम परिस्थितियों में भी करने का साहस पैदा करना|
  • धैर्य …. अपने जीवन में अपने अन्दर की समस्त इंद्रियों को अपने काबू में करके विषम परिस्थितियों में धैर्य बनाये रखना और सही परिस्तिथी का इंतजार करना|
  • रचनात्मकता .… अपने जीवन में अपने अन्दर हमेशा रचनात्मक विचारों का अविष्कार करना और उन्हें विकसित करने की क्षमता का विकास करना|
  • उत्पादकता ,,,, अपने जीवन में अपने अन्दर अधिकतम लाभ की आदतों और गुणों को अपनाकर, अपने प्रतिदिन के लक्ष्यों को समय से पूर्ण करना और एक स्वस्थ्य कार्य जीवन शैली बनाना|
  • दृढनिश्चय …. अपने जीवन में अपने लक्ष्य या सही निर्णय पर सदा डठे या खड़ा रहना और उनका दैनिक जीवन के लक्ष्य के अनुरूप निष्पादन करना तथा अंतिम लक्ष्य तक अडिग रहना|
  • आत्म निर्भरता .… अपने जीवन में अपने अन्दर स्वयं खुद अपने कार्यों और लक्ष्य को प्राप्त करने क्षमता को विकसित करना|
  • परिश्रमी .… अपने जीवन में अपने अन्दर मन, मस्तिषक और तन से अपने कार्य के प्रति समर्पित होना सिखाता है|
  • अनुशासन .… अपने जीवन में अपने अन्दर दैनिक जीवन तथा सफलता के अनिवार्य नियमों और सिद्दांतों का तय समय में स्वयं से अनुपालन करना|
  • लक्ष्य की पहचान और निर्धारण .… अपने जीवन में अपने अन्दर के सपनों की पहचान कर उसके अनुसार यथार्थवादी लक्ष्यों का निर्धारण की रणनीति बनाना तथा तय समय की दीर्घकालीन कार्य योजना बनाने को सीखने में मदद करता है|
  • लचीलापन … अपने जीवन में बदलते परिवेश और परिस्थितियों जैसे- चुनौतियों, बाधाओं, नए नियमों, प्रतिस्पर्धा आदि के अनुसार अपने आपके प्रयासों, दैनिक गतिविधियों, और सिद्धान्तों के अनुरूप ढल जाना सिखाता है|
  • संचार कौशल …. अपने जीवन में अपनी बात को स्पष्ट और प्रभावी तरीके से ब्यक्त करने की कला में व्यवहार कुशलता के नियमों का अनुपालन कर इसे अपनी भाषा शैली का हिस्सा बनाने की आदतों को सिखाता है|
  • नेतृत्व क्षमता .… अपने जीवन में एक कुशल लीडर बनना तथा लोगों के संगठन का मार्गदर्शन और नेतृत्व करने के गुणों को सीखने में मदद करता है|
  • समस्या समाधान .… अपने जीवन के कार्यक्षेत्र में समस्या का समाधान करने की क्षमता तथा लगातार कार्यक्षेत्र में आगे बढ़ते रहने से समस्या आने से पूर्व समाधान करने का अनुभव सीखने में मदद करता है|
  • लगातार सीखते रहना …. अपने जीवन सफलता प्राप्त करने के लिए सफल लोगों की संगत और उनके मार्गदर्शन में लगातार जीवनपर्यंत सीखते रहने की आदत को विकसित करने में मदद करता है|
  • व्यवस्थित रहना .… अपने जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए अपने दैनिक ब्यक्तिगत और पेशेवर जीवन सामंजस्य बिठाकर समय प्रबंधन कर दिनचर्या बनाकर उसका अनुसरण करने को सीखने में मदद करता है|
  • दिनचर्या का अनुसरण करना .… अपने जीवन में ब्यक्तिगत जीवन के दैनिक कार्यों के साथ-साथ पेशेवर जीवन में तय समय के दीर्घकालीन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक दिन की दिनचर्या को बनाना और उसका अनुसरण करना को सीखने में मदद करता है|
  • स्व मूल्यांकन करना .… अपने जीवन के पेशेवर जीवन के दैनिक लक्ष्य का रोज- रोज स्व मूल्यांकन कर ही अपने कौशल और कार्यक्षमता को बढ़ाने और सुधार करने की आदत बनाना सिखाता है|

                                                                                              ब्यक्तिगत विकास के लाभ

ब्यक्तिगत विकास के लिए विकास की मानसिकता को अपनाकर हम अपने ब्यक्तिगत और पेशेवर जीवन के हर पहलू में सुधार कर सकते हैं, और एक संतुलित सफल जीवन में सुखी, खुशहाल, स्वस्थ्य, समृद्धशाली और आनंदमय जीवन प्राप्त कर सकते है| इसलिए ब्यक्तिगत विकास से अपने ब्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में विभिन्न लाभों को प्राप्त कर सकते हैं|

  • ब्यक्तिगत विकास के माध्यम से हम अपने ब्यक्तिगत जीवन में सकारात्मक सोच का विकास कर अपनी मानसिकता को बदलकर जीवन के प्रत्येक कदम पर अपने विचारों, भावनाओं, घटनाओं, और शब्दों का सोच समझकर, धैर्यपूर्वक विश्लेषण कर ही अपनी क्रिया और प्रतिक्रिया करते हैं| इसके अतिरिक्त सकारात्मक सोच हमको विपरीत परिस्थितियों में सदा तटस्थ रहकर अनुकूल परिस्थितियों का इंतजार कर या सम्भावनाऔं को खोजकर सकारात्मक हल निकालने में मदद करती है|
  • ब्यक्तिगत विकास के माध्यम से हम बेहतर संचार कौशल से पारिवारिक , सामाजिक तथा पेशेवर सम्बन्धों का अधिकतम विकास कर सकते हैं, जिससे परिवार, दोस्तों, मित्र, रिश्तेदारों, सहकर्मियों, व नए-नए लोगों बेहतर सम्बन्ध बनाने का कौशल सीखकर निपुणता हासिल कर सकते हैं| जिससे आप अपने पारिवारिक, सामाजिक सम्बन्धों मैं सामंजस्य बिठाकर अपने पेशेवर जीवन में मनचाही सफलता के मार्ग में आगे बढ़ने की राह प्रशस्त करते हैं|
  • ब्यक्तिगत विकास के माध्यम से आप अपनी मानसिकता में बदलाव लाकर सकारात्मक सोच, नए कौशल और क्षमताओं को विकसित करने के आत्मविश्वास में वृद्धि करते हैं| जिससे आप अपने ब्याक्तिगत और पेशेवर जीवन में आने वाली चुनौतियों और बाधाओं का समाधान करने तथा असफलताओं से सीख लेकर सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ने का पूर्ण आत्मविश्वास प्राप्त कर सकते हैं|
  • ब्यक्तिगत विकास के माध्यम से आप अपनी मानसिकता में बदलाव करने की सोच के साथ पारिवारिक, ब्यक्तिगत, और पेशेवर जीवन की प्राथमिकताओं को पहचान कर विकास की मानसिकता को अपनाकर अपने अन्दर की आदतों और गुणों में बदलाव कर नए उत्पादक आदतों और गुणों को विकसित कर सकते हैं|
  • ब्यक्तिगत विकास के माध्यम से आप अपने जीवन में रचनात्मक और सृजनात्मक शक्तियों का विकास कर लगातार नए कौशल और चीजों को सीखकर अपने ब्यक्तिगत और पेशेवर जीवन मैं रोज-रोज की दैनिक दिनचर्या में अमल में लाने का ज्ञान और अनुभव प्राप्त कर सकते हैं|
  • ब्यक्तिगत विकास के माध्यम से आप अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देकर अपने ब्यक्तिगत और पेशेवर जीवन के कर्तब्यों और दायित्वों के निर्वहन के साथ-साथ अपने समग्र स्वास्थ्य को बनाये रखने की जिम्मेदारी लेना सीख जाते हैं, जिससे आप अपने जीवन में तनाव, डिप्रेशन, भटकाव, एकाग्रता और ऊर्जा तथा कार्यक्षमता का स्तर लगातार बनाये रखना सीख जाते हैं|
  • ब्यक्तिगत विकास के माध्यम से आप अपने जीवन में स्वयं के सपनों को पहचानकर उनको प्राप्त करने के लिए लक्ष्य निर्धारण करना, समय का प्रबंधन कर प्राथमिकता के आधार पर दिनचर्या तय करना, लक्ष्य प्राप्ति की रणनीति बनाना, कार्ययोजना को क्रियान्वित करना, तथा उनको प्राप्त करने के लिए निरंतर, लगातार कार्य करने की सोच, साहस, धैर्य और जनून को विकसित कर सकते हैं|
  • ब्यक्तिगत विकास के माध्यम से आप अपने जीवन में विकास की मानसिकता को अपनाकर ब्यक्तिगत और पेशेवर जीवन के कर्तब्यों और दायित्वों की पहचानकर अपनी उत्पादक आदतों और गुणों को सीखने का प्रयास करके लगातार अभ्यास कर उन पर कार्य कर अपने अन्दर सुमार करके जिम्मेदारी के साथ जीवन में आगे बढ़ना सीख जाते हैं|
  • ब्यक्तिगत विकास के माध्यम से आप अपने सफल जीवन के उद्द्देश्यों को पहचान कर पेशेवर जीवन मैं अपने लक्ष्य के लिए लगातार निरंतर कार्य करने हेतु बनायीं गयी कार्य योजना को क्रियान्वित कर तय समय में मनचाहे परिणाम प्राप्त कर सफल जीवन के उद्देश्यों जैसे- खुशहाल, सुखमय, स्वस्थ्य, समृद्धशाली, और आनंदायक जीवन को जीने का मजा ले सकते हैं, और जीवनभर अपने पर गर्व, आत्मसंतुष्टि और मन की शांति को महसूस करते हैं|

जीवन का द्वितीय आयाम – मानसिक विकास

मानसिक विकास या बौद्धिक विकास का अर्थ ब्यक्ति की समस्त सोचने की शक्ति, भावनात्मक समझ,और मानसिक योग्यताओं और क्षमताओं में बाल्यावस्था से प्रौढ़ अवस्था तक लगातार होने वाले  सुधार, वृद्धि और विकास से है| इसके फलस्वरूप ब्यक्ति बदलते माहौल, उम्र, परिवर्तनौं, और कार्यक्षेत्र के साथ स्वयं को समायोजन करने तथा परिणाम बदलने के लिए उक्त समस्त मानसिक शक्तियों को समर्थ बना पाता है| जिस कारण वह अपने जीवन में सोचने- समझने, समस्या को हल करने, निर्णय लेने, सकारात्मक सोच, योजना बनाने की रणनीति तथा क्रियान्वयन, डर और भय से बाहर निकलना, और सही समय पर निर्णय लेने की क्षमताओं को विकसित कर पाता है |

मानसिक विकास के विभिन्न पक्ष

  जैसे……… संवेदना, निरीक्षण, स्मरण शक्ति, ज्ञान, कल्पना, चिंतन, बुद्धि, भावनात्मक बुद्धि, रुचि और अभिरूचि, प्रत्यक्षीकरण, अभिब्यक्ति, निर्णय, धैर्य, साहस, दूरदृष्टि, ध्यान, तर्क, सीखना, नवाचार, सीखने की सोच, मार्गदर्शन  तथा अनुसरण करना|

         मानसिक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपने मानसिक सोच में बदलाव का निर्णय लेकर विकास की मानसिकता को अपनाकर उपरोक्त विभिन्न पक्षों को अपने जीवन में लगातार सही शिक्षा, सही पोषण, जैसे- सफल लोगों की जीवनी और सफलता के नियम और सिद्धान्तों पर आधारित किताबौं को पढ़कर, सीडीज सुनकर तथा सफल लोगों के सेमिनार्स में भाग लेकर और सफल लोगों की संगत और मार्गदर्शन में सफलता के नियमों और सिद्धान्तों का दैनिक जीवन में अनुपालन कर और अनुसरण कर ब्यक्तिगत रूप से मानसिक विकास के उपरोक्त पक्षों पर कार्य करते हुए अनुभव प्राप्त कर अपने जीवन में उपयुक्त सुधार, वृद्धि और विकास कर ही अपने ब्यक्तिगत जीवन और व्यवसायिक जीवन में अपने मनचाहे कार्यक्षेत्र में मनचाही सफलता प्राप्त कर सकते हैं |       

     मानव जीवन में मानसिक विकास के विभिन्न स्तरों में बाल्यावस्था में जब बालक में मानसिक विकास की तीव्र गति होती है, और विभिन्न शोध बताती हैं, कि प्रत्येक बालक में ६ वर्ष की उम्र में ही उसकी मानसिक योग्यताओं का पूर्ण विकास हो जाता है | जिसमें  मुख्यतया रुचि, चिंतन, स्मरण, निर्णय, ग्रहण शक्ति, और संस्कार आदि सम्मिलित है, इस समय बालक को इन समस्त आदतों को सीखने में सही मार्गदर्शन और माहौल की आवश्यकता होती है|

    किशोरावस्था में बालक के मानसिक विकास में बुद्धिलब्धि में विकास, बुद्धि में स्थिरता, मानसिक शक्तियों, कल्पनाशक्ति का विकास, चिंतन में व्यवहारिकता, रुचि की पहचान और निर्णय क्षमता, स्मरण शक्ति का विकास और समस्याओं तथा कठिनाइयों के समाधान की क्षमता में विकास आदि आदतों और गुणों को सही संगत, सस्थान, अभिभावक और सीखने के लिए मार्गदर्शन और पढ़ने, सुनने और लगातार कक्षाओं में उपस्थित रहने से ही विकसित किया जा सकता है |

    नौजवान अवस्था में ब्यक्ति के मानसिक विकास में कल्पना शक्ति के आधार पर सही जीवन के लक्ष्य की पहचान और सोच समझकर निर्णय लेने की क्षमता का विकास, सकारात्मक सोच, ज्ञान का विस्तार, भावनात्मक बुद्धिलब्धि का विकास, प्रत्यक्षीकरण, अभिब्यक्ति की क्षमता, धैर्य, साहस, दूरदृष्टि, नवाचार को अपनाना, लगातार सीखने की आदत, सही संगत, मार्गदर्शन और सफलता के नियमों और सिद्धान्तों का अनुसरण करने को अपनाने से ही विकसित किया जा सकता है|

   और एक वयस्क ब्यक्ति के अन्दर मानसिक विकास को सतत बनाये रखने के लिए अपने जीवन मैं सफलता के नियम और सिद्धान्तों का अनुसरण करना, जिसमें अनुशासित जीवन मुख्य है, के साथ- साथ  जीवन में नवाचार को अपनाते हुए, भावनात्मक बुद्धिलब्धि का अधिकतम प्रयोग कर ब्यक्तिगत जीवन में शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को उपयुक्त रखते हुए, ब्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, और व्यवसायिक जीवन में स्वथ्य सम्बन्ध, सहयोग, सहानुभूति, संचार कौशल, भावनाओं को समझना, अनुभवों से लगातार सीखते रहना, आत्म नियंत्रित रहना, तथा स्वयं को व्यक्त करने की क्षमता विकसित करते हुए प्रौढ़ अवस्था में सफल व श्रेष्ठ जीवन का आनंद प्राप्त कर सकते हैं |        

ब्यक्ति के जीवन में मानसिक विकास की आवश्यकता क्यों ?

आज के इस सूचना क्रांति युग में जहाँ हमारा समाज तथा शैक्षणिक कार्यक्रम सिर्फ और सिर्फ हमें एक तयशुदा उन्नसवीं सदी के मान्यताओं पर आधारित पारंपरिक सोच के आधार पर एक सीमित सोच का मानसिक विकास करता है, जिसकारण ब्यक्ति अपनी मानसिक सोच में परिवर्तन का जोखिम नहीं लेता है और आज के इस दौर में अपनी क्षमताओं को न पहचान पाने के कारण एक औसत जीवन शैली जीने को मजबूर हो जाता है | परन्तु यदि आप बाल्यावस्था से प्रौढ़ अवस्था तक  प्रत्येक ब्यक्ति आज जिस भी उम्र का है, आज के इस सूचना क्रांति युग में वर्तमान मानसिक सोच में परिवर्तन का निर्णय लेकर विकास की मानसिकता को अपनाकर अपना मानसिक विकास करता है, तो वह ब्यक्ति आज भी अपने जीवन की कल्पनाओं या सोच के आधार पर मनचाहे कार्यक्षेत्र को पहचान कर चयन कर नौजवान ब्यक्ति अपने कैरियर और वयस्क और प्रौढ़ ब्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र के साथ- साथ पार्ट टाइम मैं कार्य कर तय समय में या सेवानिवृत्ति के बाद एक सफल और श्रेष्ठ जीवन जीने का हक़दार बन सकता है | मानसिक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपने ब्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, व्यवसायिक और भावनात्मक जीवन के उक्त पक्षों में अभूतपूर्व बदलाव कर अपने जीवन को सुखमय, खुशियों से भरपूर, समृद्धिशाली, और आनंदित जीवन शैली का आनंद ले सकता है |

ब्यक्ति के जीवन में मानसिक विकास के लाभ :-

किसी भी ब्यक्ति के जीवन मैं मस्तिष्क का सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है, और इसका प्रभाव आपकी शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक, आर्थिक, पारिवारिक, सामाजिक, और व्यवसायिक जीवन पर स्पष्ट झलकता है |  यह ही एक प्रमुख करक है, जो प्रत्येक ब्यक्ति के ब्यक्तिगत जीवन का वर्तमान स्थिति को दर्शाता है, पारिवारिक जीवन के सम्बन्धों और आपसी बंधन को निर्धारित करता है, सामाजिक सम्मान और सम्बन्धों को दर्शाता है और आपके व्यवसायिक जीवन में वर्तमान स्थिति और सफलता को निर्धारित करता है | इसलिए इसका आपके जीवन से सीधा सम्बन्ध होता है, और आपके भविष्य को भी यही निर्धारित करता है| इसकारण मानसिक विकास के हमारे जीवन मैं विभिन्न लाभ हैं |

  • मानसिक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति बुद्धिलब्धि के ज्ञान के स्तर को बढ़ा सकता है| इसके द्वारा ब्यक्ति किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए पढ़कर, सीखकर, लगातार अभ्यास कर और मदद लेकर बुनियादी स्तर से उच्च स्तर तक की कार्य कुशलता को बढाकर अपने ज्ञान के स्तर में वृद्धि कर सकता है |
  • मानसिक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति भावनात्मक बुद्धिलब्द्धि के स्तर में वृद्धि कर सकता हैं| इसके द्वारा ब्यक्ति अपने जीवन में संचार कौशल, समस्या और कठिनाइयों का समाधान, सम्बन्ध बनाने, सहयोग, सहानुभूति, कार्य कुशलता, नवाचार का प्रयोग, कार्य योजना की रणनीति और क्रियान्वयन आदि गुणों और आदतों को विकसित कर सकते हैं|
  • मानसिक विकास के माध्यम से ही प्रत्येक ब्यक्ति अपने अन्दर मानसिक बदलाव को स्वीकार कर विकास की मानसिकता को अपनाकर सकारात्मक सोच, नजरिया, धैर्य, साहस, निर्णय, दूरदृष्टि, कल्पना, रुचि, चिन्तन, प्रत्यक्षीकरण, सीखने की आदत, अभिब्यक्ति आदि गुणों और आदतों को विकसित कर सकता है |
  • मानसिक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति, जिसमे औसत बुद्धिलब्द्धि है, भी मानसिकता में बदलाव लाकर विकास की मानसिकता अपनाकर अपनी सीखने की आदत, पढ़ने और सुनने की आदत, लगातार अभ्यास करने की आदत और समस्याओं और कठिनाइयों का समाधान करने के हुनर और मदद लेने की आदत से अपनी बुद्धिलब्धि की क्षमता को असीमित स्तर तक वृद्धि कर विकसित कर सकता है|
  • मानसिक बदलाव के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपने दैनिक जीवन में स्वयं आत्मविश्वासी बनकर और अनुशासित होकर शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को उपयुक्त बनाकर जीवनभर सर्वश्रेष्ट जीवन जीने का आनंद ले सकता है |
  • मानसिक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपने जीवन में मनचाहे कार्यक्षेत्र का चयन कर लक्ष्य की पहचान कर उस लक्ष्य की योजना की रणनीति बनाने और क्रियान्वित करने, तय समय में लगातार कार्य करने और लक्ष्य प्राप्त करने पर पूर्ण ध्यान केन्द्रित कर दूरदृष्टि के मध्येनजर अपनी समस्त कार्य क्षमताऔं को विकसित कर सकता है |
  • मानसिक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपने अन्दर के ज्ञान के स्तर, स्मरण शक्ति, ध्यान केन्द्रित करने की क्षमता में वृद्धि कर अपनी भावनात्मक बुद्धिलब्धि को विकसित कर सकता है |
  • मानसिक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति मनसिक सोच में बदलाव कर विकास की मानसिकता अपनाकर अपने अन्दर के डर, भय और असफलताऔं से सीख लेना तथा समाधान के ऊपर केन्द्रित रहने की आदत को विकसित कर सकता है|
  • मानसिक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपने जीवन में ब्यक्तिगत विकास, भावनात्मक विकास, सामाजिक विकास और व्यवसायिक विकास को समग्र रूप से एक साथ विकसित कर सकता है |
  • मानसिक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपने जीवन में सम्पूर्ण क्षेत्रों का समग्र विकास कर अपने अन्दर के अवचेतन मन को जागृत कर मस्तिष्क का मालिक बनकर विकसित भावनात्मक बुद्धिलब्धि के अनुभव के आधार पर आपके चेतन मस्तिष्क को निर्देश जारी कर शारीरिक गतिविधियों को नियंत्रित कर एकाग्रता से अनुपालन कराकर आपके ब्यक्तिगत और व्यवसायिक जीवन मैं मनचाही सफलता प्राप्त करने के आदत को विकसित कर सकता है |

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मानव जीवन का तीसरा आयाम - आध्यात्मिक विकास

आध्यात्मिक विकास का अर्थ है, कि स्वयं को अपने अंदर विकसित करने की प्रक्रिया, दूसरों के साथ और उच्च शक्तियों के साथ संबंध को विकसित करना और प्रकृति के साथ संवाद करना तथा अपने अंदर एकाग्रता, उत्कृष्टता, ध्यान, आत्म-मूल्यांकन, और आत्मज्ञान को विकास करने क्रिया है|

स्व0 राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने आध्यात्मिक विकास की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए बताया, कि बालक हो या मनुष्य हो, सभी के शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक गुणों के चतुर्मुखी विकास से है|

आध्यात्मिक विकास से ब्यक्ति के अंदर भावनात्मक संतुलन को बेहतर बनाकर जीवन में चिंता, डर, तनाव, क्रोध, निराशा, हताशा, भय, प्रतिकूलता और अवसाद की भावनाओं को दूर किया जा सकता है|

मनोवैज्ञानिकों व वैज्ञानिकों के आधार पर आध्यात्मिक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति के ब्यक्तिगत जीवन में शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, और आत्मिक स्वास्थ्य का समग्र विकास एक साथ किया जा सकता है| जिससे प्रत्येक ब्यक्ति के जीवन में ब्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक और व्यावसायिक क्षेत्र में जुड़ाव, कल्याण और प्रगति कर सकता है|

आध्यात्मिक विकास धार्मिक सीमाओं से परे ध्यान, योग, डायरी लिखना, कृतज्ञता, मनपसंद गतिविधि करना, प्रकृति के साथ जीवन जीना, दिनचर्या बनाना और अनुसरण करना तथा दैनिक कर्म पर विश्वास करना, आदि से ब्यक्ति अपने जीवन में ब्यक्तिगत, मानसिक, और आत्मिक समझ को गहनता से विकसित कर अपने कार्यक्षेत्र में मनचाही सफलता प्राप्त कर सकता है|

आध्यात्मिक विकास क्यों महत्वपूर्ण है ------

आध्यात्मिक विकास हमें एस दुनिया में मनुष्य जीवन के अर्थ के मूल को समझ पाने में मदद करता है, जो कि मानव जीवन का अर्थ, उद्देश्य, मूल्य, और संबंध अपने अंदर खोजने में मदद करता है| आध्यात्मिक विकास न सिर्फ धार्मिक या सांसारिक  रूप से विकास है, बल्कि यह धार्मिक सीमाओं से परे भी मानव जीवन का सर्वश्रेष्ठ सदुपयोग कर स्वयं का शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक रूप से समग्र विकसित कर अपने जीवन के ब्यक्तिगत, व्यावसायिक, तथा सामाजिक क्षेत्र मनचाही सफलता प्राप्त करने में सदुपयोग किया जा सकता है|  

आध्यात्मिक विकास से ही हम अपने जीवन में बुद्धिमत्ता के साथ –साथ भावनात्मक बुद्धिमत्ता को विकसित कर दोनों के प्रयोग कर अपने अंदर दृष्टिकोण परिवर्तन कर धैर्य, एकाग्रता, सुनना, सीखना, सहनशीलता, साहस, दूरदृष्टि, अडिगता, कृतज्ञता, परोपकार, प्रेम, दया, और कर्म के प्रति विश्वास आदि गुणों को विकसित कर सकते हैं|

आध्यात्मिक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपने अंदर ब्यक्तिगत कल्याण और दूसरों के साथ संबंधों को बेहतर बनाने में स्वस्थ्य और आसान सामाजिक वातावरण बनाता है | इसी कारण प्रत्येक ब्यक्ति अपने जीवन में उच्च सिद्धांतों के अनुसार जीने को प्रोत्साहित होता है| जिससे प्रत्येक ब्यक्ति अपने आचरण से अपने आस-पास के कार्य क्षेत्र में बेहतर सामंजस्यपूर्ण और नैतिक समाज और कार्य संस्कृति का निर्माण करने में मदद करता है |

प्रत्येक आम ब्यक्ति का जीवन चुनोतियों, अनिश्चितताओं, उथलपुथल, अस्थिर और नकारात्मक मानसिकता से भर रहता है| आध्यात्मिक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति दृष्टिकोण परिवर्तन कर लगातार आध्यात्मिक अभ्यासों जैसे- ध्यान, योग, प्रार्थना, कृतज्ञता, डायरी लिखना, मनपसंद गतिविधि, और प्रकृति के साथ प्रेम आदि के माध्यम से अपने अंदर आत्मविश्वास पैदा कर सकारात्मक मानसिकता से आशा, आंतरिक शांति, स्थिरता की भावना, साहस, शालीनता, और लचीलेपन से अपने जीवन में स्थिरता पैदाकर स्वयं को उत्पादक बना सकता है|

आध्यात्मिक विकास का महत्व प्रत्येक ब्यक्ति के जीवन में बहुआयामी तरीके से मानवीय जीवन के अनुभवों को समग्र रूप से समृद्ध करने की क्षमता में निहित है| इससे प्रत्येक ब्यक्ति अपने ब्यक्तिगत गुणों को निखार कर अपने जीवन की चुनौतियों का अधिकतम लचीलेपन से सामना कर हल कर सकता है तथा आध्यात्मिक रूप से पूर्ण विकसित होकर अपने जीवन के उद्देश्य को समझदारी से विकसित कर अपने जीवन के लक्ष्य को निर्धारित कर एक तय समय की रणनीति बनाकर उसके लिए लगातार कार्य करने की एकाग्रता, साहस और दूरदृष्टि को विकसित कर सकता है|

 इसप्रकार आध्यात्मिक विकास मानव जीवन का एक प्रमुख आयाम है, जो मानव जीवन को अंदर से शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक रूप से समग्र रूप से विकसित करने में प्रमुख भूमिका निभाता है|

आध्यात्मिक विकास को विकसित करने के 5 तरीके -----

1…. रोज – रोज प्रातः उठकर और रात्रि में सोने से पहले 15 – 30 मिनट प्रतिदिन ध्यान लगाने में समय दे, जिससे आप स्वयं से अंदर से जुड़कर स्वयं को पहचानना, स्वयं के लक्ष्य की पहचान, अपने अंदर स्थिरता पैदा करना, आत्म मंथन करने की प्रक्रिया को पैदा करना, स्वयं के पास की प्रत्येक चीज और ब्यक्तियों के महत्व की पहचान और उनके प्रति कृतज्ञता ब्यक्त करना, आदर्श माहौल बनाना, तथा सर्वोच्च शक्तियों के प्रति कृतज्ञता       ब्यक्त करने की भावनाओं को विकसित करने का एक शानदार तरीका है | ध्यान प्रत्येक ब्यक्ति के अंदर आध्यात्मिक विकास को विकसित करने का एक प्रमुख मार्ग है |

2…. रोज – रोज के दैनिक जीवन में प्रातः और रात्रि में सोने से पूर्व  सर्वोच्च शक्तियों को स्वयं के पास की प्रत्येक चीज, परिवार, दोस्त, मित्र, समस्त शुभचिंतकों, ब्रह्मांड में उपस्थित समस्त चीजों, शक्तियों और ग्रहों जिनसे जीवन संभव है, और अपने मन, मस्तिष्क और शरीर जो स्वस्थ्य रहकर सदा आपका साथ दे रहा है, आदि प्रत्येक वो चीज जो आपको जीवन में प्रतिदिन खुश, सुखमय, स्वस्थ्य, समृद्धशाली और आनंददायक जीवन जीने में लगातार मदद कर रहे है, इनके माध्यम से ही आप अपने अंदर पूर्णतया कृतज्ञता, विनम्रता, प्रेम, करुणा, दृष्टिकोण और लचीलापन को विकसित कर सकते हैं|

3…. रोज – रोज प्रातः उठकर आप जिस भी सर्वोच्च शक्ति में विश्वास करते हैं, उनकी प्रार्थना में समय दें और यदि आप प्रार्थना में समय नहीं देते हैं, तो फिर रोजाना दैनिक डायरी लिखें| जिसमें रोजाना उन 5 चीजों के लिए  सर्वोच्च शक्ति को धन्यवाद लिखें, जिनकी वजह से आप अपने आज के दिन को उत्पादक और खुशमिजाज, सुखद, स्वस्थ्य, समृद्धशाली और आनंददायक बनाना चाहते हैं|  इसके साथ – साथ अपने जीवन के लक्ष्यों और उन समस्त सफल सिद्धांतों की स्ववार्ता को रोज प्रातः बोल कर अपने अवचेतन मन में पक्का कर लें| इन गतिविधियों से आपके जीवन में आध्यात्मिक विकास के माध्यम एकाग्रता, दूरदृष्टि, आत्म केंद्रित रहना और दैनिक दिनचर्या आदि को विकसित किया जा सकता हैं |

4…. प्रतिदिन की गतिविधि और कार्य के दौरान समय – समय पर निरंतर अंतराल में समय निकाल कर खुद को छोटे –छोटे ब्रेकउप देकर छोटी – छोटी मनपसंद गतिविधि करते रहें, जैसे – गाना सुनना, मनपसंद डिश खाना, परिवार या दोस्तों से बात करना, आराम करना, छोटी वाक करना, कोई खेल खेलना, आदि तथा इसके अतिरिक्त सप्ताह में एक दिन परिवार के साथ  मनपसंद जगह घूमना, या अन्य मनोरंजक गतिविधि करना तथा त्यौहारों और सार्वजनिक कार्यक्रमों का हिस्सा बनकर उपस्थित समुदाय से जुड़कर सभी के साथ संबंधों को बनाए रखना और उनमें प्रगाढ़ता बनाने से अपने मस्तिष्क की भावनाओं को संतुष्टि प्रदान कर तथा स्वयं को पुनः रिचार्ज कर अपनी उत्पादकता और अन्य गुणों को विकसित करने में मदद होती है |    

5…. प्रकृति के साथ समय बिताने और प्राकृतिक सौन्दर्य को खोजना और उसका आनंद लेने से या पर्यावरण के साथ जुडकर आनंदित महसूस करना  तथा उन स्थलों का जो आपको पसंद हैं या आपके सपने से जुड़े हों, का आध्यात्मिक विकास को विकसित करने का एक सशक्त माध्यम है|

मानव जीवन में आध्यात्मिक विकास के लाभ ---

आध्यात्मिक विकास मानव जीवन के 6 विभिन्न आयामों में से एक प्रमुख कारक है, जो प्रत्येक कारक को विकसित करने में समग्र विकास के साथ मदद करता है तथा प्रत्येक कारक पर इसका प्रभाव पड़ता है| इसके मानव जीवन में लाभ निम्न प्रकार हैं |

  • मनुष्य इस पृथ्वी पर सर्वोत्तम और एकमात्र सामाजिक और समझदार प्राणी है| इसलिए प्रत्येक ब्यक्ति आध्यात्मिक विकास के माध्यम से प्रकृति, पर्यावरण, ब्रह्मांड, समाज और स्वयं से अंदर से जुड़कर सबके प्रति अपने कर्तव्यवों, दायित्वों और अधिकारों की पहचानकर अपनी सर्वोत्तम सार्थकता को सिद्ध कर सकता है|
  • आध्यात्मिक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपने जीवन में शारीरिक, मानसिक, आत्मिक गुणों का सर्वोत्तम चतुर्मुखी रूप से विकसित कर अपने जीवन में सर्वोच्च को प्राप्त सकता है, जिससे प्रत्येक ब्यक्ति अपने दैनिक जीवन, परिवरिक जीवन,सामाजिक जीवन और व्यावसायिक में सामंजस्य बिठकार स्वयं को शारीरिक, और मानसिक रूप से स्वस्थ्य बनाए रखकर अपने कार्यक्षेत्र में मनचाही सफलता प्राप्त कर सकता है |
  • आध्यात्मिक विकास की मदद से प्रत्येक ब्यक्ति अपने जीवन में आत्म अनुशासन और आत्म अनुभूति से आत्म विश्वास को प्राप्त कर अपने जीवन में स्वयं, परिवार, समाज और व्यावसायिक क्षेत्र में दृष्टिकोण, संबंध, चरित्र विकास, एकाग्रता, दूरदृष्टि, और सतत कार्य करने की क्षमता को विकसित कर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद कर सकता है |
  • आध्यात्मिक विकास की मदद से प्रत्येक ब्यक्ति अपने जीवन में व कार्य क्षेत्र आने वाली समस्याओं, बाधाओं और असफलताओं से निपटने और उनका हल ढूढ़ने तथा आगे चलकर पहले से ही उनकी पहचान कर उनके निराकरण पर काम कर आगे बढ़ने मदद करता है|
  • आध्यात्मिक विकास की मदद से प्रत्येक ब्यक्ति अपने जीवन में रोजाना अपने अंदर सर्वोच्च शक्ति के लिए प्रार्थना करके, कृतज्ञता प्रकट करके और डायरी लिखकर {कृतज्ञता और सेल्फ टॉक} के गुणों को विकसित कर अपने दैनिक जीवन और व्यवसायिक जीवन में भटकाव, शंका, अज्ञानता आदि को समाप्त कर अपने अंदर आत्मविश्वास, कृतज्ञता, करुणा, सहयोग, और दया से मानसिक समृद्धि का विकास कर सकता है|
  • आध्यात्मिक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपने जीवन को बहुआयामी तरीके से मानवीय अनुभव को आंतरिक समग्र रूप से समृद्ध करने की क्षमता को रखता है, इसीकरण प्रत्येक ब्यक्ति अपने ब्यक्तिगत गुणों निखार सकता है, तथा जीवन की चुनौतियों को अधिक लचीलेपन से सामान्य कर सहकते है|
  • आध्यात्मिक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपने शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक( मन ) को एकसाथ श्रेणीबद्ध कर अपने जीवन के उद्देश्य और लक्ष्य पहचान कर समग्र दृष्टिकोण से शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, पारिवारिक, सामाजिक, और व्यावसायिक आयामों के बीच आपसी सामंजस्य बिठाकर दैनिक और कार्यक्षेत्र में सतत रूप से आगे बढ़ने में मदद करता है |
  • आध्यात्मिक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपने दैनिक जीवन में भावनात्मक बुद्धि का विकास कर दैनिक आध्यात्मिक प्रक्रियाओं, जैसे- प्रार्थना, ध्यान, कृतज्ञता, और माइंडफुलनेस की प्रक्रियाओं से प्रतिदिन के कार्यों और गतिविधियों के संचालन से उत्पन्न होने वाले तनाव, क्रोध, निराश, हताशा, दर, भय, चिंता, प्रतिकूलता आदि को संभालने में सक्षम हो जाता है |
  • आध्यात्मिक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपने अंदर भावनात्मक लचीलापन बढ़ाकर प्रेम, करुणा, दया, धैर्य, साहस, सहनशीलता, कृतज्ञता, सुनना, सीखना, दूरदृष्टि, कार्य संस्कृति, प्राथमिकताओं की पहचान कर, और मूल्यों में वृद्धि कर गहन आंतरिक शांति और संतुष्टि का अनुभव कर अपने जीवन में ब्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, और व्यावसायिक क्षेत्र में मनचाही सफलता व ख्याति प्राप्त करने में सक्षम हो जाता है |
  • आध्यात्मिक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति यदि अपनी मानसिक शक्तियों को विकसित कर लेता है, तो वह अपने जीवन में सर्वोच्च उत्पादकता को प्राप्त करने के मार्ग को प्रशस्त कर सकता है| आध्यात्मिक विकास ही मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण आयाम है, जो प्रत्येक ब्यक्ति को मानसिक रूप से सुदृढ़ और समृद्ध बनाकर जीवन में चमत्कार कर सकता है|
  • आध्यात्मिक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपने प्रतिदिन का कार्यों का स्व मूल्यांकन करना सीखकर, जीवन मूल्यों में वृद्धि कर, और प्राथमिकताओं का चयन करना सीखकर अपने जीवन में अभूतपूर्व परिवर्तन कर और बदलाव को जल्द से जल्द स्वीकार कर प्रत्येक परिस्थिति का सामना कर जीवन आगे बढ़ते रहने से सफलता की दूरदृष्टि को विकसित कर सतत और लगातार कर्म करने से सफलता मिल सकती के राज समझ सकने में मदद करता है|               

   अंत में आध्यात्मिक विकास का अर्थ सिर्फ मात्र धार्मिक बनना ही नहीं है, बल्कि अपने – अपने धर्म के अनुसार सर्वोच्च शक्तियों को मानते हुए और उनसे संबंध बनाते हुए आधुनिक युग में अपने अंदर उत्कृष्टता, एकाग्रता, ध्यान, आत्म मूल्याँकन और आत्मज्ञान को विकसित कर अपने जीवन की सार्थकता को सिद्ध करने का एक प्रमुख महत्वपूर्ण मानव जीवन का आयाम है |

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मानव जीवन का चौथा आयाम – भावनात्मक विकास

                        स्वस्थ्य भावनात्मक विकास का अर्थ यह है,कि मानव जीवन की विभिन्न अवस्थाओं, जैसे – बचपन, किशोरावस्था, युवावस्था, और प्रौढ़ावस्था में खुद की भावनाओं को समझना, उनका आँकलन कर और उन्हें अपने वक्ष में करके उचित और संतुलित भावनाओं को विकसित करना और अपनाने की प्रक्रिया है | इसप्रकार मानव जीवन में प्रत्येक ब्यक्ति के अंदर किसी भी समय और परिस्थिति में उत्पन्न होने वाली भावनाओं को वश में करके और उस समय पर उचित और संतुलित प्रतिक्रिया देना ही स्वस्थ्य भावनात्मक विकास कहा जाता है, जैसे – तनाव, डर, भय, गुस्सा, अपेक्षा, शर्म, रोना, इच्छा, चिंता, आदि को ब्यक्त करना | इसी भावनात्मक विकास की प्रक्रिया में प्रत्येक ब्यक्ति अपनी शक्तियों और प्रयासों को को विकसित कर अपने साथ साथ दूसरों की शक्तियों और प्रयासों को पहचानने और महत्व देना सीखने में सहायता मिलती है | इससे प्रत्येक ब्यक्ति अपने जीवन में किसी भी कार्यक्षेत्र में सफलता पाने के लिए सहयोगियों में एक टीम भावना पैदाकर टीम वर्क के माध्यम से आने वाले कठिनाइयों और चुनौतियों से उबरने की शक्ति विकसित कर आगे बढ़ते है |

                   किसी भी ब्यक्ति की आत्मभावना उसकी स्वयं की अपने प्रति और दूसरों के प्रति धरण से अत्यधिक प्रभावित होती है |जिन ब्यक्तियों में बचपन, किशोरावस्था, और युवावस्था में भावनात्मक विकास का अभाव रहता है, उनमें अपने जीवन में या कार्यक्षेत्र में सफलता के प्रति नकारात्मक भावना, जैसे – निराशा, हताशा और शंका का अधिकतर सामना करना पड़ता है, जिस कारण उनमें अपनी सफलता की संभावना बहुत कम रहती है | इसीकरण मानव जीवन में भावनात्मक विकास को विकसित करने से ब्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक और व्यवसायिक जीवन सफलता के अवसर अधिकतम हो जाते हैं |

मानव जीवन में भावनात्मक विकास क्यों महत्वपूर्ण है ?....

मानव जीवन में प्रत्येक ब्यक्ति अपने जीवन में भावनात्मक विकास के माध्यम से एक सफल जीवन जीने का लाभ प्राप्त कर सकता है, क्योंकि भावनात्मक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपनी भावनाओं को नियंत्रित कर और उनकी पहचानने के साथ –साथ दूसरों की भावनाओं को भी पहचानना सीख जाता है | इस प्रक्रिया के माध्यम से दूसरों की भावनाओं को समझते हुए और उन पर प्रतिक्रिया करने से पहले अपनी भावनाओं को नियंत्रित कर सोच समझकर अपनी भावनाओं को ब्यक्त करने के गुण को अपने अंदर विकसित कर खुद को एक व्यावहारिक ब्यक्ति बनाने और दूसरों के साथ मजबूत और स्वस्थ्य संबंध बनाने वाले ब्यक्ति के रूप में विकसित कर सकता है | जो कि प्रत्येक ब्यक्ति के लिए अपने पारिवारिक, सामाजिक और व्यावसायिक जीवन में सफलत प्राप्त करने के लिए अनिवार्य है | उदाहरण के लिए कोई भी ब्यक्ति यदि किसी अजनवी या नए ब्यक्ति के साथ लंबे समय तक समूह में रहने या यात्रा के दौरान असहज महसूस करना तथा बात न कर पाने के बजाय भावनात्मक विकास कर उसके साथ वार्तालाप शुरू कर उनकी बातों को धैर्य रखकर सुनना औरसंवाद कर अपने संबंध बनाना और संगत बनाए रखना |

      मानव जीवन में ब्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, और व्यावसायिक जीवन  में स्वास्थ्य, सुख, शांति, समृद्धि और संतुष्टि प्राप्त करने तथा सफल व सार्थक जीवन जीने के लिए भावनात्मक विकास पर ध्यान देना अतिआवश्यक है, जिससे हमारी भावनायें जितनी अधिक सकारात्मक और नियंत्रित होंगी, हमारा जीवन उतना अधिक सफल और सार्थक बनेगा | प्रत्येक ब्यक्ति विषम और अनुकूल परिस्थितियों में दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करता है, इस बात का प्रत्येक ब्यक्ति के अवचेतन मन पर सीधा प्रभाव पड़ता है | यदि किसी भी ब्यक्ति के जीवन में भावनात्मक विकास का अभाव है, तो उसके जीवन में समस्याएँ, चुनौतियों, बाधाएँ उत्पन्न होंगी और यही सब उस ब्यक्ति के जीवन में नकारात्मक प्रभाव डालती है| इसकारण किसी भी ब्यक्ति के जीवन में हमेशा हताश, निराशा और असफलताएँ जन्म लेती है |

       मानव जीवन में भावनात्मक विकास न होने के कारण उसके ब्यक्तिगत मानसिकता और भावनाओं पर हताशा, निराशा और असफलताओं हावी हो जाती है और इसकी स्पष्ट झलक उसके चेहरे और भाषाशैली में भी दिखती है | इस कारण वह जब भी दूसरों से मिलता है और वार्ता करता है, तो उसका उत्तर यह रहता है.. ठीक हूँ, सामान्य चल रहा है,कोई खास नहीं, आपकी दुआ से, जैसे पहले था, आदि शब्द आपकी निराशावादी मानसिकता और भावनाओं को दर्शाती है| ये सब आपके जीवन की नकारात्मक/ औसत भावनात्मक विकास के के उदाहरण है | इन सबको आप भावनात्मक विकास के माध्यम से बदलकर प्रत्येक ब्यक्ति अपनी भावनाओं को प्रबंधित और नियंत्रित कर सदा सकारात्मक भावनाओं के द्वारा दूसरे ब्यक्तियों से वार्तालाप के दौरान कहता है.. सबकुछ बढ़िया चल रहा है, बहूत बढ़िया, जीवन मजेदार है, जीवन में आगे बढ़ते ही जा रहे है, परम पिता परमेशवर के आशीर्वाद से बहूत बढ़िया चल रहा है, परम पिता परमेश्वर का कोटि – कोटी धन्यवाद, आदि शब्दों से उनके जीवन में स्पष्ट उत्साह, आत्मविश्वास, दृढ़ता और जनून झलकता है | इसलिए भावनात्मक विकास प्रत्येक ब्यक्ति के सफल और श्रेष्ठ जीवन के लिए अतिआवश्यक है |

      बच्चों में भावनात्मक विकास का अर्थ है, खुद के बारे में सकारात्मक समझ, दूसरों के प्रति सम्मान, सामाजिक कौशल, भावनात्मक कल्याण और रोज –रोज नई – नई चीजों को सीखने के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण और व्यवहार कुशलता को विकसित करने *

      इसलिए मानव जीवन में बच्चों से प्रौढ़ ब्यक्ति के जीवन में सफल और श्रेष्ठ जीवन जीने के लिए भावनात्मक विकास अतिआवश्यक है |

 

** मानव जीवन में भावनात्मक विकास के प्रमुख घटक....

 

       मानव जीवन में भावनात्मक विकास बच्चों से लेकर प्रौढ़ ब्यक्ति तक एक सतत प्रक्रिया है और इस प्रक्रिया का उम्र बढ़ने के साथ – साथ प्रत्येक ब्यक्ति के जीवन में इसका स्तर विकसित होता ही जाता है और इसके विकास के लिए निम्न घटक पूर्णतया जिम्मेदार रहते है |

 ** आत्म – जागरूकता.. प्रत्येक ब्यक्ति का अपनी भावनाओं, प्रतिक्रियाओं, व्यवहारों, आदतों, विचारों और प्रेरणाओं को पहचानने की क्षमता कहलाती है | अपनी आत्मजागरूकता को बेहतर बनाने से किसी भी ब्यक्ति को अपने ब्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक और व्यावसायिक जीवन में कई लाभ मिलते है, जिसमें सहकर्मियों, समाज और अन्य समूह आदि में बेहतर संबंध बनाना, बेहतर संवाद कौशल, बेहतर नेता बनने, टीम वर्क को बढ़ावा देना और विचारों में उत्कृष्टता और नवाचार का प्रयोग करना आदि गुण बेहतर करने में मदद मिलती है | अपनी आत्म जागरूकता को विकसित करने के लिए दूसरों से प्रतिक्रिया प्राप्त करने,  सुनने की क्षमता को विकसित करने, अपनी कमजोरियों को पहचान कर उन पर काम करके तथा अपनी ताकत को सदा प्रयोग कर, हमेशा अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर और इसका इस्तेमाल कर तथा अपने अंदर की प्रेरणा को पहचान करना और इन पर लगातार काम करते रहना है |

      आत्म जागरूकता के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपने जीवन में अपने वास्तविक अभिरूचि को पहचान कर अपने आत्म विश्वास को जागृत कर अपने जीवन की उत्पादकता को पहचान सकता है और आप अपनी नेतृत्व क्षमता, कार्यक्षमता और लोगों के प्रबंधन कौशल को विकसित कर सकते है | इन सब को विकसित करने में सतत समय  प्रयास और अभ्यास लगता है |

 

** आत्म नियमनआत्म नियमन किसी भी ब्यक्ति के जीवन में एक जटिल निर्णय प्रक्रिया है , जो जीवन में संतुलन और प्रगति बनाए रखने में मदद करती है | यह ब्यक्ति के जीवन में अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना, दिनभर की गतिविधियों को नियंत्रित करना तथा अपने आप को अनुशासित करने की प्रक्रिया कहलाती है | आत्मनियमन का अनुसरण करने वाले लोग ज्यादा आत्मविश्वासी, सक्षम और स्वयं में नियंत्रित रहते है | दूसरे लोगों से रिश्ते मजबूत रखने, स्वयं तथा अपने कार्य पर अधिक ध्यान केंद्रित कर, नई – नई चीजों को सीखने और दैनिक जीवन में तनाव और निराशाओं से बेहतर तरीके से निपट पाने में मदद मिलती है|

      आत्मनियमन के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपनी भावनाओं की प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित कर तथा उन्हें विवेकपूर्ण तरीके से दूसरों के समक्ष ब्यक्त करना और स्वयं के कार्यों की जिम्मेदारी लेने को सीखने में मदद मिलती है | आत्मनियमन का अनुसरण करने वाले लोग अपने जीवन में अपना पोषण उच्च गुणवत्ता के भोजन से करते है तथा अपनी दिनचर्या में मन, मस्तिष्क और शरीर का विकास और प्रयोग समग्र रूप से व्यायाम, पर्याप्त नींद और कार्य करने के लिए प्रतिदिन स्वयं को तैयार रखने में मदद मिलती है तथा अपनी भावनाओं को ब्यक्त करने के लिए संवाद कौशल, कला, गायन, पेंटिंग, खेल या एक नेतृत्व कला, आदि के माध्यम से ब्यक्त करने में मदद मिलती है |

     आत्मनियमन को प्रत्येक ब्यक्ति अपने लिए विकसित करने के लिए अपने जीवन में रोजाना अच्छी आदतों का अभ्यास कर, अपनी इच्छाशक्ति को विकसित कर तथा अपनी प्रेरणा को लगातार बनाए रखकर विकसित कर सकता है |

 

** आंतरिक प्रेरणाआंतरिक प्रेरणा का अर्थ है, ब्यक्ति अपने जीवन में किसी लक्ष्य या उद्देश्य को आंतरिक कारणों से प्रेरित होकर   प्राप्त करने के लिए सदा उत्तेजित या जनूनी रहता हो | यह किसी भी संगठन, व्यवसाय, नौकरी, या पढ़ाई में प्राप्त करना हो, तो यह उस ब्यक्ति को अधिकतम उत्पादकता प्राप्त करने में मदद करती है | एक सशक्त आंतरिक प्रेरणा प्रत्येक ब्यक्ति को अपने कार्यक्षेत्र में विकसित होने और लक्ष्यों प्राप्त करने में पूर्ण मदद करती है | इसके अतिरिक्त प्रत्येक ब्यक्ति अपने जीवन में अपनी भावनाओं का बेहतर प्रबंधन और नियंत्रण कर आंतरिक प्रेरणा से स्वयं को लंबे समय तक अपने जीवन के प्रमुख लक्ष्यों, रूचियों, और शौकों पर ध्यान केंद्रित कर प्राप्त करने या उनके साथ सम्पूर्ण जीवन जीने के लिए समर्पित कर सकता है | आंतरिक प्रेरणा के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपने परिवारिक, सामाजिक, व्यावसायिक जीवन बेहतर सामंजस्य बनाकर एक सफल और श्रेष्ठ जीवन जीने का आनंद प्राप्त कर सकता है | इसके लिए प्रत्येक ब्यक्ति को आंतरिक प्रेरणा के माध्यम से सदा जीवन में सकारात्मक सोच और अनुभवों के आधार पर जीवन में आने वाली चुनौतियों और बाधाओं को पारकर अल्पकालिक और दीर्घकालिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है | आंतरिक प्रेरणा ही प्रत्येक ब्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ने, जिम्मेदारी लेने, लगातार कार्य करने का साहस, आत्मविश्वास और मानसिक ताकत देती है |

        आंतरिक प्रेरणा के प्रमुख कारक, जो आपकी आंतरिक प्रेरणा बढ़ावा देते है, उनमें संबद्धता, मतलब अपनेपन की भावना पैदा करना, नियंत्रण और स्वायत्तता, प्रसंशा, चुनौती, जिज्ञासा और संतुष्टि आदि है, जो प्रत्येक ब्यक्ति के अंदर आंतरिक प्रेरणा को तेजी से विकसित करने में मदद करते है |

 

** समानुभूति – समानुभूति का अर्थ है, कि जिससे हम दूसरे ब्यक्ति के साथ तालमेल बिठाकर उन ब्यक्तियों की मानसिक स्थिति और भावनाओं को समझना और अपनी भावनाओं को प्रबंधित और नियंत्रित कर संबंध स्थापित करना और सहयोग करना है | समानुभूति के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति परिवार, समाज और व्यवसाय में में अलग – अलग दृष्टिकोण वाले ब्यक्तियों की भावनाओं और परिस्थितियों को समझते हुए उनके साथ सामंजस्य बिठाकर संबंध बनाना और सहानुभूति प्रकट करने की क्षमता को विकसित करने में मदद मिलती है | जिससे प्रत्येक ब्यक्ति अपने अंदर दूसरे ब्यक्तियों को सुनने की कला, सामंजस्य बिठाना और सहयोग करने के गुण को अधिकतम विकसित किया जा सकता है |

    इसके माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपने अंदर एक मजबूत मूल्य प्रणाली भी विकसित की जा सकती है, जो कि आपको किसी समाज और समुदाय में एक स्वयं सेवक के रूप में कार्य करने की क्षमता प्रदान करती है | साथ ही प्रत्येक ब्यक्ति सदैव दूसरे ब्यक्ति की परिस्थितियों को उनके नजरिए से समझने की शक्ति को भी विकसित कर सकता है | इस गुण के कारण प्रत्येक ब्यक्ति अपने व्यवसाय में अभूतपूर्ण सफलता प्राप्त कर सकते है |

 

** सामाजिक कौशलसामाजिक कौशल वह योग्यता है, जो दूसरे ब्यक्तियों के साथ बातचीत और संचार को सुविधाजनक बनाती है | सामाजिक कौशल आपको नए – नए  लोगों से मिलने, संबंध बनाने और नेटवर्क बनाने में मदद करता है |  प्रत्येक ब्यक्ति अपने जीवन में विभिन्न प्रकार के सामाजिक कौशल के माध्यम से अपने जीवन के पारिवारिक, सामाजिक और व्यावसायिक क्षेत्रों में दूसरे लोगों के साथ सकारात्मक और सार्थक बातचीत करने की क्षमता को विकसित कर सकता है , जिसमें टीमवर्क, सहयोग करना, संबंध बनाना, और दूसरों के साथ हमेशा प्रेम की भावना दर्शाना आदि गुण विकसित हो जाते है | इसकारण प्रत्येक ब्यक्ति अपने जीवन में समस्त ब्यक्तियों को पूर्ण सम्मान देना, आभार प्रकट करना, प्रेरित करना, मुबारकवाद देना, आदि करने का गुण सीख सकता है |

        इसके अतिरिक्त सामाजिक कौशल के माध्यम से दूसरे ब्यक्ति के जीवन के बारे में पूछताछ कर उसे प्रेरित कर और सुझाव देकर बेहतर संचार कौशल और संबंधों को विकसित किया जा सकता है, इसका उदाहरण यह है कि, प्रत्येक ब्यक्ति किसी भी ब्यक्ति से बातचीत के दौरान उनकी आँखों से आँखैं मिलाकर और सकारात्मक रूप से सिर हिलाकर या हामी भरते हुए उनकी बातों को सुनने तथा  बीच – बीच में प्रेरणादायक शब्द बोलकर प्रशंसा करते हुए ये सब गुण अपने अंदर विकसित कर सकता है | जिससे प्रत्येक ब्यक्ति अपने जीवन में सफल  और श्रेष्ठ पारिवारिक, सामाजिक और व्यावसायिक जीने का आनंद प्राप्त कर सकता है |

 

** आत्म अवधारणाप्रत्येक ब्यक्ति भावनात्मक विकास के माध्यम से अपने अंदर स्वयं की नजरों में स्वयं को पहचान कर और स्वयं ही अपना आँकलन कर अपनी कीमत को निर्धारित करने के कौशल को ही आत्म अवधारणा कहा जाता है | इसका अर्थ यह है, कि कोई भी ब्यक्ति स्वयं के बारे में कैसे सोचता है, कैसे देखता है, कितना महत्व देता है, कितना स्व मूल्यांकन करता है| यही सब चीजें चीजें प्रत्येक ब्यक्ति के दृष्टिकोण, आत्मविश्वास, आत्मसम्मान, और अपने वजूद का निर्धारण कर पाने में मदद करती है | इसप्रकार स्वयं के निष्पक्ष मूल्यांकन, आत्मजागरूकता और आत्मसाक्षात्कार के माध्यम से प्रेरित होकर आप अपनी मानसिकता में महत्वपूर्ण बदलाव करने का निर्णय लेते है | यह भावनात्मक विकास का एक महत्वपूर्ण घटक है, जिसके द्वारा आप समाज और व्यवसाय में स्वयं अपनी परिस्थितियों को प्रबंधित और नियंत्रित कर दूसरे ब्यक्तियों के समक्ष अपने को एक लीडर, मेन्टर या सलाहकार के रूप में प्रदर्शित कर पाते है |    

        यह प्रक्रिया प्रत्येक ब्यक्ति के जीवन में भावनात्मक विकास की शुरुआत करती है और जीवन में महत्वपूर्ण मानसिक और शारीरिक बदलाव के निर्णय लेने में मदद करती है | आत्म अवधारणा प्रत्येक  ब्यक्ति के जीवन में चार प्रमुख कारणों से प्रभावित होती है, जब आप दूसरों की प्रतिक्रिया पर निर्भर होते है, या दूसरों से अपनी तुलना करने लगते है, या सामाजिक भूमिका के अनुरूप ढलने लगते है, या सबकी हाँ में हाँ मिलकर अपनी पहचान बनाने की कोशिश करते है | एसलिए प्रत्येक ब्यक्ति को जीवन में स्वयं के अंदर सदा भावनात्मक विकास को विकसित करने के लिए तैयार रहने का निर्णय लेकर ही मानसिक और शारीरिक परिवर्तन कर आत्म अवधारणा के माध्यम से अपने जीवन में  उपरोक्त चीजें प्राप्त कर सकता है | 

** भावनात्मक विकास से मानव जीवन में होने वाले लाभ -

भावनात्मक विकास मानव जीवन में विकास की मानसिकता को विकसित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यह प्रत्येक ब्यक्ति के जीवन में अंदर से भावनाओं पर पूर्ण नियंत्रण कर विकसित करने में मदद करता है | जिसका मानव जीवन पर सबसे प्रभावशाली और तेजी से बदलाव दिखाई देते हैं | इसके मानव जीवन में विभिन्न प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभ दिखाई देते है | जो निम्न है ….

1* भावनात्मक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपने ब्यक्तिगत जीवन में स्वयं की भावनाओं को नियंत्रित और दूसरे ब्यक्तियों की भावनाओं को समझने की शक्ति अपने पैदा कर लेता है | जिससे वह स्वयं अपने जीवन में पारिवारिक, सामाजिक, और व्यावसायिक क्षेत्र में  कई स्थितियों, परिस्थितियों, बाधाओं, चुनौतियों से निपटने और समाधान ढूढ़ने के हूनर को विकसित कर अनुभवी हो जाता है और इस प्रकार जीवन के किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ता रहता है |

2* भावनात्मक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपने जीवन में भावनाओं को समय और परिस्थितियों के अनुरूप प्रबंधित और नियंत्रित करने में समर्थ हो जाता है | जिसकारण वह अपने पारिवारिक, सामाजिक, और व्यावसायिक जीवन और कार्यक्षेत्र में प्राथमिकता के आधार पर अपनी दिनचर्या और कार्यों के बीच पूर्णतया सामंजस्य बिठाकर निरंतर आगे बढ़ते रहने में सफल हो जाता है |

3* भावनात्मक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपने स्वयं के पारिवारिक, सामाजिक और व्यावसायिक जीवन और कार्यक्षेत्र में दूसरों के साथ सामंजस्य बिठाकर और संबंधों को विकसित कर एक टीम वर्क के रूप में एक – दूसरे के सहयोग, अनुभव और योगदान से किसी भी क्षेत्र में मिलकर आगे बढ़ाने और सफल होने में मदद मिलती है |

4* भावनात्मक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपने पारिवारिक, सामाजिक और व्यावसायिक जीवन में सामंजस्य बिठाकर अपने कार्यक्षेत्र में बेहतर कार्य नैतिकता और समान मानसिकता को विकसित करने से बेहतर कार्य निष्पादन करने में मदद मिलती है | यही दो गुण प्रत्येक ब्यक्ति के जीवन में उसको किसी भी कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त करने में मदद करते है |

5* भावनात्मक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपने जीवन में स्वयं के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को आजीवन बेहतर बनाकर रख सकता है, जिसकारण वह ब्यक्ति अपने मन, मस्तिष्क और शरीर को संरेखित कर समग्र विकास करके स्वस्थ्य मन के अनुभवों के ममध्यम से स्वस्थ्य मस्तिष्क को निर्देश देकर स्वस्थ्य शरीर से किसी भी कार्यक्षेत्र में निरंतर कार्य कर आगे बढ़ने में मदद मिलती है |

6* भावनात्मक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपनी भावनाओं को नियंत्रित और प्रबंधित कर अपने अंदर के अद्वितीय गुणों को पहचानकर अपने जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए अनिवार्य गुणों को प्रतिदिन अभ्यास कर विकसित कर सकता है और ये अद्वितीय गुण  आपके ब्यक्तित्व की शक्तियाँ बन जाती है |

7* भावनात्मक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपनी भावनाओं को नियंत्रित और प्रबंधित कर अपने अंदर सकारात्मक दृष्टिकोण, आत्मविश्वास, आत्मसम्मान, अनुशासन, कर्मठता और दृढ़ता को विकसित कर अपने जीवन के किसी भी कायक्षेत्र में आगे बढ़कर सफलता प्राप्त करने में सक्षम हो जाता है |

8*भावनात्मक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपने अंदर अपने मस्तिष्क के महत्वपूर्ण हार्मोनों, जैसे – डोपामाइन, ऑक्सीटोसिन, सेरेटानिन, और अंडोरफीन का स्त्राव में वृद्धि कर परिवर्तन ला सकते है| इससे आपके जीवन में अधिकतम समय खुशी, प्रसन्नता, आनंदित महसूस कर आपकी उत्पादकता में वृद्धि हो जाती है | जो आपके अंदर प्रेरणा, जनून, लग्न, और जागरूकता को पैदा करने में मदद करते है |

9*भावनात्मक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपने जीवन में आत्म अवधारणा से स्वयं की शक्तियों और प्रयासों के साथ – साथ दूसरों की शक्तियों और प्रयासों को पहचान कर महत्व देना सीख जाता है, जिसकारण बच्चों और युवाओं में चुनौतियों और कठिनाइयों से उबरने की क्षमता को विकसित करने में मदद मिलती है |

10* भावनात्मक विकास की माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपनी भावनाओं का व्यावहारिक प्रदर्शन के द्वारा एक – दूसरे को पहचानने तथा भावनाओं से जुड़े विचारों और निर्णयों में सामंजस्य बिठाकर आपसी संबंधों को विकसित कर सकता है, जिससे पारिवारिक, सामाजिक, और व्यावसायिक जीवन और कार्यक्षेत्र में सामंजस्य बिठाकर सफल जीवन बनाने में मदद मिलती है |

11* भावनात्मक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपने जीवन में बचपन से युवावस्था में अपने परिवार, शिक्षक और समाज के समक्ष स्वयं की भावनाओं को अभिब्यक्त करने के उचित तरीकों के मूल्य व विश्वास को सीखते है | जिससे उसको अपने स्वभाव, सांस्कृतिक मापदंड, कार्यों को करने की संस्कृति, योग्यता तथा अपने जीवन में इसके माध्यम से प्रत्येक कदम पर आगे बढ़ते हुए उत्पादक आदतों की नींव मजबूत करने में मदद मिलती है |

 

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मानव जीवन के विकास का पाँचवाँ आयाम – सामाजिक विकास

                      ब्यक्ति के जीवन में सामाजिक विकास का अर्थ है, कि अपने जीवन के किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए समाज में लोगों को मानसम्मान देना, मदद करना, स्वस्थ्य और अटूट संबंध बनाना, करुणा, प्रेम, तथा सहयोग आदि गुणों को अपने अंदर विकसित करना अनिवार्य है| इसके साथ–साथ सामाजिक विकास का अर्थ यह भी है, कि समाज में प्रत्येक ब्यक्ति के जीवन में शारीरिक, मानसिक और आर्थिक गतिविधियों में सुधार करना, ताकि प्रत्येक ब्यक्ति अपनी पूरी क्षमताओं का विकास कर सके| इसके अतिरिक्त भी सामाजिक विकास विकास का  अर्थ है, कि लोगों में निवेश करना, ताकि प्रत्येक ब्यक्ति अपने जीवन भर तथा अपनी पीढ़ियों तक इसे सतत कायम रख सके | इसलिए  सामाजिक विकास से यह स्पष्ट होता है, कि प्रत्येक ब्यक्ति यदि सामाजिक रूप से स्वयं को विकसित करना चाहता है, तो उसे ब्यक्तिगत और समाज के विकास के प्रतिबद्ध होकर, स्वयं अपना और अन्य समाज के लोगों को एक आदर्श सफल और आत्मनिर्भर जीवन जीने के तरीके सिखानें में मदद करना आवश्यक है | सामाजिक विकास से ही समाज के लोगों की मानसिक, बौद्धिक, और आर्थिक विकास का मापदंड है | यदि समाज उक्त गुणों के बल पर आत्मनिर्भर हो जाए, तो सामाजिक विकास किसी भी ब्यक्ति को समाज में एक सफल लीडर बन कर उभर सकने में मदद कर सकता है |

सामाजिक जीवन में बच्चों और नौजवानों के जीवन के शुरुआती वर्षों में सामाजिक विकास के माध्यम से ही लोगों से स्वस्थ्य संबंधों के निर्माण के साथ-साथ लोगों की मदद करना, मानसम्मान देना, करुणा, प्रेम, व सहयोग करने की भावनाओं को सीखते और समझते हैं| प्रत्येक ब्यक्ति के जीवन में मनचाही सफलता अक्सर अच्छे सामाजिक तथा भावनात्मक विकास पर काफीजिक  हद तक निभार करती है | मानव जीवन में सामाजिक और भावनात्मक विकास के संयुक्त प्रभाव ही बच्चों, नौजवानों, और वयस्कों के जीवन में दोनों पहलुओं के विकास को मजबूत और सुदृढ़ रूप से पोषण कर महत्वपूर्ण योगदान देता है |  भावनात्मक और सामाजिक कौशल के विकास के लिए सतत निपुण अभ्यास से सीखकर और पारंगत बनकर ही प्रत्येक ब्यक्ति अपने जीवन में सफल और श्रेष्ठ जीवन प्राप्त कर सकता है | मानव जीवन में सामाजिक विकास के माध्यम से ही किसी भी ब्यक्ति के जीवन में उसकी सामाजिक स्थिति, प्रतिष्ठा, और मान्यता आदि चीजों को प्राप्त करने में मदद करता है |

                                                             सामाजिक विकास के मुख्य तत्व विश्वास, ज्ञान, भावना, लक्ष्य या उद्देश्य, मापदंड, स्थितियाँ, भूमिका, रैंक, शक्ति, मंजूरी और सुविधा आदि है |

 

मानव जीवन में सामाजिक विकास आवश्यक क्यों ?...

                   मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, और मानव जीवन के के विकास के लिए समाज और सामाजिक जीवन एक आधारभूत आवश्यकता है | कोई भी ब्यक्ति आज अपने जीवन में जो भी हैं| उसमें समाज की संगत सर्वप्रथम एक महत्वपूर्ण कारक है | बच्चे हों या नौजवान हों सभी सामाज की संगत और सामाजिक जीवन से ही सीख और प्रेरणा लेकर जीवन में आगे बढ़ते हैं | इसी सामाजिक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपने जीवन में मानसिक, शारीरिक, आर्थिक, आध्यात्मिक, भावनात्मक और व्यावसायिक गुणों में सुधारकर अपने सम्पूर्ण कौशल और क्षमताओं को विकसित  करने में मदद करता है |

                  सामाजिक विकास से बच्चों में खुद के साथ- 2 दूसरों के बारे में सीखने और समझने में मदद मिलती है | और इसी समाज के साथ-2 खुद को पूर्णतया बेहतर स्थिति में ढाल सकता है | सामाजिक विकास से ही प्रत्येक ब्यक्ति को जीवन में साक्षरता, ज्ञान, भावना, विश्वास, मापदंड, लक्ष्य/उद्देश्य, शक्तियों को पहचानना, पौष्टिक पोषण, स्वस्थ्य जीवन, जीवन में जागरूकता, प्रेरणा और सीखने का माहौल प्राप्त होता है | मानव जीवन में सामाजिक विकास एक सतत जीवनपर्यंत यात्रा है | जिसमें हम लगातार अपने जीवन में मानसिक, और शारीरिक रूप से बदलाव कर स्वयं को जीवन के बहुमुखी आयामों को पूर्ण विकसित कर सकते है | सामाजिक विकास का मुख्य उद्देश्य यह है, कि मानव जीवन के बुनियादी आवश्यकतों तक बेहतर पहुच प्रदान करना है | मानव जीवन में समाज के साथ विकास के लिए में सामाजिक संबंध, लचीलापन, संचार-कौशल, सीखने की आदत, बदलाव की स्वीकार्यता, सकारात्मक भावनाएँ, और विकास की मानसिकता का होना आवश्यक है, जो कि किसी भी ब्यक्ति के जीवन में श्रेष्ठ सफल जीवन जीने के लिए अनिवार्य रूप से आवश्यक है |

                                        

मानव जीवन में विकास के लिए सामाजिक विकास के प्रमुख कारक –

                      सामाजिक विकास प्रत्येक ब्यक्ति के जीवन में विभिन्न गुणों/आदतों को विकसित करता है, तथा यह बच्चों, नौजवानों के लिए अपने जीवन में एक सफल व श्रेष्ठ जीवन जीने में मदद करता है सामाजिक विकास के प्रमुख कारक निम्न प्रकार है|……..

  • सामंजस्य – प्रत्येक ब्यक्ति के जीवन में सामाजिक विकास के लिए ब्यक्तिगत व सामाजिक जीवन में सामंजस्य बिठाकर ही अपने जीवन में एक सफल व श्रेष्ठ जीवन जीने का आनंद ले सकता है | इसका स्पष्ट मतलब है, कि कोई भी ब्यक्ति प्रत्येक दिन की ब्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक तथा व्यवसायिक गतिविधियों के बीच दैनिक दिनचर्या में प्रत्येक के महत्वपूर्ण कार्य या जिम्मेदारियों को प्राथमिकता के आधार पर निभाकर ही अपने मिशन में कामयाबी प्राप्त कर सकता है | मानव जीवन में उक्त चारों गतिविधियां अपने आप में महत्वपूर्ण हैं, और सफल और श्रेष्ठ जीवन जीने के लिए किसी भी गतिविधि को दैनिक जीवन में छोडा नहीं जा सकता है | इसलिए प्रत्येक ब्यक्ति को यदि सफल श्रेष्ठ जीवन जीना है, तो प्राथमिकता के आधार पर प्रत्येक दिन की दैनिक गतिविधि व समय प्रबंधन से ही दैनिक जीवन की कार्यों का अनुसरण करना सीखना अनिवार्य है |
  • स्वयं को समझना – प्रत्येक ब्यक्ति के जीवन में सामाजिक विकास के लिए स्वयं का आत्ममूल्यांकन कर अपने स्वयं की शक्तियों को पहचानना और कमजोरियों को मिटाकर अपने जीवन में उन आदतों का चयन कर अपने अंदर सुधार करना है, जो आदतें सामाजिक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति का सम्पूर्ण विकास करने में मदद करते हैं | इसलिए किसी भी ब्यक्ति को अपने जीवन में सम्पूर्ण विकास कर सफल व श्रेष्ठ जीवन जीने के लिए आदतों से समझौता न कर प्रतिदिन की दिनचर्या में मजबूती से अपनी शक्तिशाली आदतों को अपनाना है| यह कोई एक दिन काम नहीं है, बल्कि प्रतिदिन छोटे- छोटे परिवर्तन से 6 माह से 1 साल में आप अपने जीवन में सामाजिक विकास के माध्यम से सम्पूर्ण विकास कर सकते है|
  • प्रमाणित शिक्षा प्रणाली का अनुसरण करना –  प्रत्येक ब्यक्ति अपने जीवन में सामाजिक विकास के माध्यम से स्वयं का हरफनमौला विकास करने के लिए सफल और अनुभवी लोगों की जीवनी तथा सफलता के सिद्धान्त और नियमों पर आधारित किताबों का अध्ययन करने की रोजाना दैनिक जीवन में 30 मिनट पढ़ने की आदत बनायें तथा सफल लोगों की संगत  करना और उनकी आडियो और वीडिओ सुनने और देखने की आदत बनाएँ | एक सफल मेन्टर या कोच की सतत संगत और मार्गदर्शन में रहना एक सरल, और आसान है | यही मार्ग आपको सरलता और आसानी से समाज में रहकर किसी भी ब्यक्ति के अंदर सामाजिक विकास को विकसित करने का मार्ग को प्रशस्त करता है |
  • संचार कौशल –  प्रत्येक ब्यक्ति को अपने जीवन में सामाजिक विकास के लिए जन समुदाय, या भीड़, या सहयोगियों के साथ सतत सामंजस्य बिठाने के लिए उनके बीच में अपनी मान्यता प्राप्त करने, उनको सीखाने, पारंगत करने, नेतृत्व करने, संतुष्ट करने, उनको बाधे रखने तथा अपनी बात मनवाने आदि का संचार कौशल की क्षमता को बढ़ाना और उसमें पारंगत बनना अनिवार्य है | ये सब क्षमताएँ किसी भी ब्यक्ति के अंदर जीवन में लगातार सतत किताबों को पढ़ने की आदत तथा सफल और अनुभवी कोच या मेन्टर की संगत में रहकर और उनके मार्गदर्शन में समाज में लोगों के साथ प्रैक्टिकल प्रयोग करने से ही पारंगत हासिल किया जा सकता है | यह कौशल दिन-प्रतिदिन, माह दर माह, लगातार सीखकर समाज में लोगों के बीच अमल में लाकर अनुपालन करने से ही संभव है |
  • प्रमुख और शक्तिशाली संबंध स्थापित करना –  प्रत्येक ब्यक्ति को अपने जीवन के किसी भी कार्य क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए स्वयं के विकास के लिए समाज के जन समुदायों के साथ लंबे समय के लिए प्रमुख और शक्तिशाली संबंधों को विकसित करना अनिवार्य है, क्योंकि समाज में प्रमुख और शक्तिशाली संबंधों को विकसित कर ही लोगों के नेटवर्क के माध्यम से ही सफलता प्राप्त की जा सकती है | सफलता के लिए रोजाना दैनिक जीवन में लोगों से मिलना, उनकी वार्तालाप में भाग लेना और उनको समझने के लिए सुनना, मदद करना, सहयोग करना, मानसम्मान देना और उनको निर्णय लेने में मदद करना, आदि के माध्यम से ही समाज में जन समुदायों के बीच अपने संबंधों को प्रगाढ़ किया जा सकता है| इसलिए कोई भी ब्यक्ति सामाजिक विकास के माध्यम से इन आदतों में महारत हासिल कर सकता है |
  • सामाजिक विकास एक बहुआयामी प्रयास –  सामाजिक विकास के माध्यम से लोगों के जीवन को बेहतर बनाने, स्वयं के जीवन में आत्म नियंत्रण पाने, बेहतर मानसिक विकास, तथा भावनाओं की समझ पैदा करना तथा ब्यक्तिगत जीवन के उद्देश्यों की पहचान करना तथा लोकव्यवहार की कला में पारंगत बनाना आदि सब एक बहुआयमी प्रयास है |जिसका मतलब कोई भी ब्यक्ति अपने जीवन में ज्ञान, विकास, भावना, लक्ष्य/उद्देश्य, मापदंड, स्थिति, भूमिका, शक्तियों को पहचानना, अच्छा स्वास्थ्य, स्वस्थ्य पोषण, तथा जन-जागरूकता आदि का विकास ही एक बहुआयामी विकास है | इन्ही सामाजिक मूल्यों के विकास की एक सतत प्रक्रिया के द्वारा विकसित किये जा सकते है | सामाजिक विकास के माध्यम से ही लोगों का विकास ही एक बहु आयामी विकास ही मूल उद्देश्य है, जिससे उनके महत्वपूर्ण कौशल और उद्देश्यों को विकसित किया जा सकता है |

               

• मानव जीवन में सामाजिक विकास के लाभ –

                 मानव के जीवन में सामाजिक विकास एक सतत प्रक्रिया है | यह प्रक्रिया बच्चों से शुरू होकर प्रौढ़ावस्था तक निरंतर लगातार समय, समाज और परिस्थितियों के आधार पर चलती रहती है | एससे मानव जीवन को बहुत लाभ हैं, जो निम्न प्रकार हैं |,,,,..

  • सामाजिक विकास से समाज के प्रत्येक ब्यक्ति के जीवन में बेहतरी और सुधार के लिए अनिवार्य है, ताकि प्रत्येक ब्यक्ति अपनी अंदर की सम्पूर्ण क्षमताओं को विकसित कर सकें, और इससे समाज के अंदर एक सम्मानजनक स्थिति, मानसम्मान, सुखद, प्रभावशाली, समृद्धशाली जीवन प्राप्त कर सकता है |
  • सामाजिक विकास के माध्यम से बच्चों व नौजवानों में खुद के साथ-साथ दूसरों को समझने और उनसे सीखने मदद प्राप्त होती है | इससे प्रेरणा व सीख प्राप्त कर वह समाज की समस्त गतिविधियों को पहचानकर उनमें भाग लेना और बेहतर दोस्तों और मित्रों का दायरे को बढ़ते रहते हैं, जो उनको अपने जीवन के किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने में मदद करती है |
  • सामाजिक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपने रिश्तों के दायरों को ब्यापक बनाने, नई-नई मित्रता बढ़ाने, स्वयं में विश्वास की भावना पैदा करना, तथा अपने अंदर आत्मविश्वास और आत्मसम्मान के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है | ये गुण प्रत्येक ब्यक्ति के अपने जीवन किसी भी क्षेत्र में प्रगति के लिए अनिवार्य हैं |
  • सामाजिक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति के जीवन में बचपन से प्रौढ़ावस्था तक पढ़ने, सीखने, समझने, स्वयं को विकसित होने और दूसरों के साथ सहयोग और प्रगाड़ संबंध में सक्षम और पारंगत बनाने में मदद मिलती है, जो मानव जीवन के लिए एक मूल्यवान आयाम है | इन सबके साथ कोई भी ब्यक्ति अपने जीवन में अपनी आदतों में आमूलचूल परिवर्त्तन लाकर एक विकसित लीडर और सफल ब्यक्ति बन सकता है |
  • सामाजिक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपने समाज और बाहर के समाज, देश और दुनिया के बारे बेहतर तरीके से देखने की समझ, जानकारी को विकसित कर सकता है तथा अपनी जिज्ञासा को भी संतुष्ट कर सकता है | इससे कोई भी ब्यक्ति समाज और देश-दुनिया में लोगों से वार्तालाप और संबंध विकसित करने के प्रभावशाली और लोकव्यवहार के तरीकों को  बेहतर ढंग से प्रयोग कर पारंगत हासिल कर सकता है |
  • सामाजिक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति समाज में रहकर, लोगों से संवाद करना, लोगों की बातें सुनना, अपनी भावनाओं को प्रबंधित करना, संघर्ष करना, समस्याओं को सुलझाना, चुनौतियों और बाधाओं से पार पाना और लगातार अपने लक्ष्य के साथ आगे बढ़ते रहना आदि गुणों/आदतों को सीखकर एक सफल लीडर बनकर उभरने में मदद मिलती है |
  • सामाजिक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति को अपने जीवन में समाज में लोगों के साथ लगातार बचपन से प्रौढ़ावस्था तक रहते हुए लोगों में स्वयं की स्वीकार्यता को बनाने, अपनी पहचान बनाने, स्वतंत्र जीवन जीना सीखने और गरिमामय मानसम्मान को बनाए रखना आदि को सीखने में मदद मिलती है | लगातार समाज में लोगों के बीच में रहने से उक्त समस्त को जीवनपर्यंत कायम रखने में भी मदद मिलती है |
  • सामाजिक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति अपने जीवन में स्वयं की मानसिकता में आसानी से पारिवर्तन कर विकास की मानसिकता को अपनाने का निर्णय लेना सीख सकता है, तथा सकारात्मक और आगे बढ़ने वाले समाज का भाग बनकर प्रत्येक ब्यक्ति को अपने जीवन के स्पष्ट लक्ष्यों और उद्देश्यों की पहचान करने में मदद प्राप्त करता है |
  • सामाजिक विकास के माध्यम से प्रत्येक ब्यक्ति समाज के साथ रहकर लोगों से, जिनके साथ अधिकतर रहता है, से ही सकारात्मक और नकारात्मक मानसिकता को बनाना सीखता है, क्योंकि कोई भी ब्यक्ति बचपन से प्रौढ़ावस्था तक जो भी सीखता है, उसका 80% भाग समाज से ही सीखता है, और कोई भी ब्यक्ति अधिकतर जो भी बनता है, वह समाज की अच्छी और बुरी संगत से ही बनता है |
  • सामाजिक विकास के माध्यम से अपने जीवन में समाज में रहकर ही सेवा, सुरक्षा, सामाजिक मान्यताओं, घर, परिवार, रिश्तों, संबंधों को सीखकर विकसित करते हुए अपने व्यावसायिक, सामाजिक, पारिवारिक, आध्यात्मिक, ब्यक्तित्व और आर्थिक आयामों को संतुलित कर पाने की कला में मदद प्राप्त कर सकता है |

       

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